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IMF Loan To Pakistan : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) ने पाकिस्तान को जारी किए जाने वाले 7 बिलियन डॉलर के लोन में से 1 बिलियन डॉलर की राशि जारी की है. भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के सामने इस ऋण को जारी किए जाने का विरोध किया और यह भी कहा कि पाकिस्तान इस ऋण का भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ाने में उपयोग करेगा, इसलिए उसे यह ऋण नहीं दिया जाना चाहिए. भारत के विरोध के बावजूद पाकिस्तान को लोन मिल गया है, इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है और आईएमएफ उन्हीं राष्ट्रों को लोन देता है, जो बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके होते हैं.
क्या है आईएमएफ और कैसे करता है काम
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है. इसकी स्थापना 1944 में हुई थी. आईएमएफ का मुख्यालय वाशिंगटन, अमेरिका में है. यह संगठन वैश्विक आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए काम करता है और उन देशों की आर्थिक मदद करता है, जो घोर आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं. मुद्रा कोष अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने का काम भी करता है. आईएमएफ आर्थिक रूप से कमजोर राष्ट्रों को ऋण देने के अलावा उन्हें यह सलाह भी देता है कि वे किस प्रकार अपनी नीतियों को सुधारें और अर्थव्यवस्था को मजबूत करें. चूंकि आईएमएफ को अपना ऋण वापस भी लेना होता है इसलिए वह राष्ट्रों को तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण देने का काम भी करता है. जब कोई देश आर्थिक संकट से गुजर रहा होता है, तो वह आईएमएफ से कर्ज के लिए आवेदन करता है, आवेदन प्राप्त होने पर आईएमएफ उस राष्ट्र की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करता है, उसके बाद वह शर्तों के साथ ही किसी देश को ऋण देता है.
आईएमएफ में क्या है भारत और पाकिस्तान की स्थिति
IMF | भारत | पाकिस्तान |
---|---|---|
IMF में सदस्यता | 27 दिसंबर 1945 | 11 जुलाई 1950 |
कोटा (Quota) | SDR $13 बिलियन) | $2. बिलियन) |
वोटिंग पावर | 2.75% | 0.43% |
IMF से ऋण (2024 तक) | नहीं (भारत ने 1991 के बाद ऋण नहीं लिया) | हाँ – कई बार लिया; 2023 में $3 बिलियन का ऋण |
ऋण स्थिति | ऋणदाता देश | IMF से कर्ज लेता है |
आर्थिक स्थिति | विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था | संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था |
ऋण अदायगी का इतिहास | समय पर और पूरा भुगतान | कई बार डिफॉल्ट के कगार पर पहुँचा |
IMF में भूमिका | प्रभावशाली, G20 सदस्य | सीमित प्रभाव |
आईएमएफ में भारत और पाकिस्तान की स्थिति पर अगर गौर करें, तो दोनों देशों की तुलना करना बेमानी होगा. सबसे प्रमुख अंतर जो दोनों की स्थिति में नजर आता है वो ये हैं कि भारत आईएमएफ का ऋण देने वाला राष्ट्र है, जबकि पाकिस्तान ऐसे देशों में शामिल है, जो सिर्फ आईएमएफ से ऋण लेता है. पाकिस्तान के रिकाॅर्ड पर नजर डालें, तो अबतक पाकिस्तान ने आईएमएफ से 20 से अधिक बार लोन लिया है, जबकि भारत ने 1991 के बाद आईएमएफ से कोई ऋण नहीं लिया है और ऋण देने वालों की सूची में शामिल है. अगर आईएमएफ में दिए जाने वाले कंट्रिब्यूशन की बात करें, तो भारत का प्रतिशत 2.75% का है, जबकि पाकिस्तान की हिस्सेदारी काफी कम है. रुपयों में बताएं तो भारत 13 अरब डॉलर का योगदान देता है, जबकि पाकिस्तान महज 2 अरब डॉलर का. इस वजह से भारत जहां निर्णायकों में शामिल है, जबकि पाकिस्तान लेनदारों में.
भारत के विरोध के बावजूद पाकिस्तान को कैसे मिल गया ऋण
आईएमएफ ने जब पाकिस्तान को ऋण देने के मामले की समीक्षा की, तो भारत ने उसका जमकर विरोध किया और कहा कि पाकिस्तान आईएमएफ द्वारा दिए जाने वाले पैसे का दुरुपयोग भारत में आतंकवाद को बढ़ाने के लिए करेगा. भारत की बातों से कई सदस्य देश सहमत भी नजर आए, लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बदहाली के कगार पर है. दिवालिया हो चुके पाकिस्तान को पैसों की सख्त जरूरत है, इसी वजह से आईएमएफ के एग्जीक्यूटिव बोर्ड के सदस्यों ने उसे ऋण देने का समर्थन किया. इसी वजह से भारत के विरोध के बावजूद पाकिस्तान को आईएमएफ से ऋण मिल गया. हालांकि भारत ने पाकिस्तान को ऋण देने का जोरदार विरोध किया, लेकिन आईएमएम में उसकी भागीदारी कम होने की वजह से भी उसे वीटो का अधिकार नहीं है. इसी वजह से भारत ने पाकिस्तान को ऋण दिए जाने वाले प्रस्ताव के मतदान के वक्त उपस्थित भी नहीं रहा, क्योंकि इस तरह के मतदान में ना कहने का कोई प्रावधान नहीं है. हां, भारत ने मतदान के वक्त अनुपस्थित रहकर अपने ना को मजबूती दी है.
पाकिस्तान को शर्तों के साथ मिला है ऋण
आईएमएफ के एग्जीक्यूटिव बोर्ड के सदस्यों ने पाकिस्तान को ऋण की मंजूरी तो दी है, लेकिन कई शर्तें भी लगाई गई हैं, जिनमें प्रमुख हैं-
- राजकोषीय अनुशासन और घाटा नियंत्रण
पाकिस्तान को बजट घाटा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 5-6% तक सीमित करना होगा. - कर सुधार और राजस्व वृद्धि
कृषि आय पर कर बढ़ाना, जो 2025 तक 45% तक हो सकता है. - उपभोक्ता वस्तुओं पर सामान्य बिक्री कर (GST) बढ़ाना, जैसे बीज, उर्वरक, ट्रैक्टर आदि पर 18% GST लागू करना.
- ऊर्जा क्षेत्र में सुधार
ऊर्जा सब्सिडी में कटौती और बिजली दरों में वृद्धि. - वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता
कमजोर वित्तीय संस्थानों को मजबूत करना और वित्तीय क्षेत्र पर निगरानी बढ़ाना. - विदेशी मुद्रा भंडार का पुनर्निर्माण
विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाना और स्थिर करना.
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क्या आप जानते हैं, आजादी के बाद भारत ने पाकिस्तान को क्यों दिया था 75 करोड़ रुपया?
1971 में जब भारत ने पाकिस्तान के 5,795 वर्ग मील भूमि पर कर लिया था कब्जा, तो क्यों कर दिया वापस?
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