बर्लिन : गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में चेहरे के हाव-भावों को पढ़ने की क्षमता प्रभावित हो सकती है, जिससे उनके अंतरंग संबंध पर भी असर पड़ सकता है.
एक अध्ययन में यह बात सामने आयी है. जर्मनी में ग्रीफ्सवाल्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने ऐसी महिलाओं को खुशी या डर जैसे मूल हाव-भावों के बजाय गर्व या अपमान जैसे जटिल भावनात्मक हाव-भावों की पहचान करने की चुनौती दी.
उन्होंने गर्भनिरोध गोलियां (Oral Contraceptive Pills) लेने वालीं महिलाओं में भावनात्मक पहचान में सूक्ष्म बदलाव का खुलासा किया. यह अध्ययन ‘फ्रंटीयर्स इन न्यूरोसाइंस’ में प्रकाशित हुआ.
इसमें पता चला कि गोलियों का इस्तेमाल नहीं करने वाली महिलाओं की तुलना में ओसीपी प्रयोगकर्ताओं में तकरीबन 10 प्रतिशत बुरा असर दिखा.
अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि इस अध्ययन ने ओसीपी के संभावित प्रभाव को लेकर सवाल खड़े किये हैं कि इसका असर सामाजिकता और अंतरंग संबंधों पर पड़ सकता है.
अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि जन्म नियंत्रण के अलावा हार्मोन से संबंधी गर्भनिरोधक गोलियां मुंहासे, भारी माहवारी एवं एंडोमेट्रिओसिस को नियंत्रित करने में मददगार हो सकती हैं.
साथ ही इनसे गर्भाशय और पाचन तंत्र के निचले भाग पर स्थित कोलन के कैंसर का खतरा कम हो सकता है. एंडोमेट्रिओसिस, महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण होने वाली ऐसी बीमारी है, जो दर्द, अनियमित मासिक धर्म के साथ बांझपन जैसी गंभीर समस्याओं को लेकर आती है.
इसका नकारात्मक प्रभाव यह है इन दवाइयों से स्तन और सर्वाइकल कैंसर, खून के थक्के बनना और उच्च रक्तचाप का खतरा मामूली रूप से बढ़ सकता है. हालांकि ओसीपी के मनोवैज्ञानिक प्रभावों को बहुत कम ही दर्शाया गया है.
ग्रीफ्सवाल्ड विश्वविद्यालय के एलेक्जेंडर लिश्चके ने बताया, दुनिया भर में 10 करोड़ महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करती हैं लेकिन इससे उनकी भावनाओं, बोध तथा व्यवहार पर पड़ने वाले असर के बारे में बहुत कम जानकारी है.
लिश्चके ने कहा, हालांकि इन नतीजों में यह सुझाया गया है कि गर्भनिरोधक गोलियां लेने वाली महिलाओं में अन्य के भावनात्मक हाव-भावों की पहचान करने की क्षमता प्रभावित होती है.