20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

दीपाली दास को जमानत से हाईकोर्ट का इंकार, निचली अदालत में सरेंडर कर जमानत लेने का निर्देश

झारसुगुड़ा की पूर्व विधायक और बीजद नेता दीपाली दास को 21 सितंबर को तालाबीरा में केंद्रीय पीएसयू एनएलसी इंडिया लिमिटेड द्वारा कोयले के परिवहन को बाधित करने के आरोप है

झारसुगुड़ा. राज्य की उच्च न्यायालय ने सोमवार को झारसुगुड़ा की पूर्व विधायक और बीजद नेता दीपाली दास को 21 सितंबर को तालाबीरा में केंद्रीय पीएसयू एनएलसी इंडिया लिमिटेड द्वारा कोयले के परिवहन को बाधित करने के आरोप में दर्ज मामले में गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से इनकार कर दिया. हालांकि अदालत ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि उसके आत्मसमर्पण के बाद उसे जमानत पर रिहा कर दिया जाये. न्यायमूर्ति आदित्य कुमार महापात्र की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि आरोप की प्रकृति, अपराध की गंभीरता और मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, मैं याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी से पहले जमानत देने के इच्छुक नहीं हूं. हालांकि यह निर्देशित किया जाता है कि यदि याचिकाकर्ता आज से तीन सप्ताह की अवधि के भीतर इस मामले पर ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करता है और जमानत के लिए आवेदन दायर करता है, तो मामले पर विचार कर रही अदालत उसे इस संबंध में जमानत पर रिहा कर देगी. उपरोक्त मामला ऐसे नियमों और शर्तों पर है जिन्हें यह उचित और उचित समझे. विदित हो कि पूर्व विधायक दीपाली दास के खिलाफ जिनकी 21 सितंबर को तालाबीरा में एनएलसी इंडिया लिमिटेड के कोयला-परिवहन वाहनों की आवाजाही को रोकने के आरोप मे मामला दर्ज किया था. इसे लेकर दीपाली के वकील टुकुना कुमार मिश्रा ने दलील दी कि पूर्व विधायक को स्थानीय पुलिस ने मामले में झूठा फंसाया है. वह कंपनी के साथ-साथ जिला प्रशासन के अवैध आचरण के खिलाफ आंदोलन कर रही थीं. हालांकि कंपनी द्वारा कुछ स्थानीय लोगों की जमीन अधिग्रहित की गयी, लेकिन उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया गया है. याचिकाकर्ता वकील ने यह भी कहा कि वह अन्य लोगों के साथ कंपनी या उसकी संपत्ति को कोई नुकसान पहुंचाने के इरादे के बिना कार्यालय गेट के सामने शांतिपूर्वक आंदोलन कर रही थी. लेकिन सरकारी वकील एमके मोहंती ने इस आधार पर दीपाली को गिरफ्तारी से पहले जमानत पर रिहा करने पर आपत्ति जतायी कि एफआइआर में लगाये गये आरोप गंभीर और गंभीर प्रकृति के थे. उन्होंने यह भी दलील दी कि याचिकाकर्ता ने कंपनी को सामान्य रूप से काम करने से रोककर भारी नुकसान पहुंचाया. साथ ही मोहंती ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता ने स्थानीय लोगों को उकसाया, जो वहां एकत्र हुए थे, जिससे इलाके में कानून और व्यवस्था का मुद्दा पैदा हो गया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें