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झारखंड के छह जिलों में डायबिटीज को लेकर अभियान चलाया जायेगा
लोहरदगा, गुमला, रामगढ़, चतरा, खूंटी व सिमडेगा के ग्रामीण इलाकों में चलाया जायेगा अभियान रांची : रांची के मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ विनय कुमार ढांढनियां ने कहा कि समय पर खान-पान व नियमित व्यायाम करने से डायबिटीज से बचा जा सकता है. साथ ही जीवनशैली में भी बदलाव करना होगा. शारीरिक श्रम को महत्व देना […]
लोहरदगा, गुमला, रामगढ़, चतरा, खूंटी व सिमडेगा के ग्रामीण इलाकों में चलाया जायेगा अभियान
रांची : रांची के मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ विनय कुमार ढांढनियां ने कहा कि समय पर खान-पान व नियमित व्यायाम करने से डायबिटीज से बचा जा सकता है. साथ ही जीवनशैली में भी बदलाव करना होगा. शारीरिक श्रम को महत्व देना होगा. डाॅ ढांढनियां रविवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि मधुमेह को धीमी मौत कहा जाता है, यह बीमारी कई बीमारियाें को निमंत्रण देती है. किसी व्यक्ति को अगर डायबिटीज हो जाता है, तो उसके अलावा उसके परिवार वाले भी परेशान हो जाते हैं. परिवार कैसे अपने लोग को डायबिटीज के दौरान सहयोग करे, इसको लेकर रिसर्च सोसाइटी फॉर दी स्टडी ऑफ डायबिटीज इंडिया(आरएसएसडीआइ) ने मॉडल तैयार किया है. आरएसएसडीआइ झारखंड के जिलों में डायबिटीज को लेकर अभियान चलाने का निर्णय लिया है. यह अभियान लोहरदगा, गुमला, रामगढ़, चतरा, खूंटी व सिमडेगा के ग्रामीण इलाकों में चलाया जायेगा.
अभियान की तिथि आरएसएसडीआइ की बैठक में तय कर ली जायेगी. वहीं, शहरी क्षेत्र में स्कूलों व कॉलेजों से यह अभियान शुरू किया जायेगा. एक स्टडी में यह सामने आया है कि झारखंड के शहरी क्षेत्र में 13 प्रतिशत व गांवों में तीन प्रतिशत लोग डायबिटीज से ग्रसित हैं.
माता-पिता को अगर डायबिटीज है, तो उनके बच्चे में होने की संभावना ज्यादा : डॉ ढांढनियां ने बताया कि अगर माता-पिता को डायबिटीज है, तो उनके बच्चे को डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है. अगर मां को डायबिटीज है, तो बच्चे को होने की संभावना 20 प्रतिशत व पिता को डायबिटीज है, तो बच्चे को होने की संभावना 30 प्रतिशत बढ़ जाती है.
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