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पुलिस की कथनी व करनी में है फर्क

पुलिस की कथनी व करनी में है फर्क एसटीएफ के साथ अब तक नहीं चलाया अभियान.सक्रिय दिखाती पुलिस तो नहीं जानी कामेश्वर पांडेय की जान.पतरातू. पुलिस की कथनी व करनी में बड़ा फर्क है. यदि पुलिस अपने कहे अनुसार, समय रहते सक्रियता दिखायी होती, तो शायद अपराधी कामेश्वर पांडेय को मारने की हिमाकत नहीं करते. […]

पुलिस की कथनी व करनी में है फर्क एसटीएफ के साथ अब तक नहीं चलाया अभियान.सक्रिय दिखाती पुलिस तो नहीं जानी कामेश्वर पांडेय की जान.पतरातू. पुलिस की कथनी व करनी में बड़ा फर्क है. यदि पुलिस अपने कहे अनुसार, समय रहते सक्रियता दिखायी होती, तो शायद अपराधी कामेश्वर पांडेय को मारने की हिमाकत नहीं करते. सीसीएल सौंदा में ब्रजेश की हुई हत्या के बाद पुलिस ने बार-बार जोर देकर यह कहा था कि पतरातू क्षेत्र में अपराधियों-उग्रवादियों को गंठजोड़ को तोड़ने के लिए पुलिस पूरी तरह कृत्संकल्प है. इसके लिए पुलिस बहुत जल्द एसटीएफ के साथ पतरातू के जंगलों में अभियान चलायेगी. पुलिस ने कहा था कि सभ्य समाज के बीच रह कर आपराधिक गुटों के लिए मुखबिरी करनेवाले लोगों को भी चिह्नित कर कार्रवाई की जायेगी. ब्रजेश की हत्या 21 अक्तूबर को हुई थी. लेकिन पांच दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस ने अब तक इन दोनों घोषणाओं में से किसी एक पर भी अमल नहीं किया. यदि पुलिस इन घोषणाओं पर अमल करती, तो उसकी सक्रियता स्वाभाविक रूप से इस क्षेत्र में बढ़ जाती. ऐसी स्थिति में अपराधी कामेश्वर पांडेय को बीच बाजार में मारने की हिमाकत तो कदापि नहीं ही करते. अपराधी गुट काफी शातिरी तरीके एक के बाद एक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. हर घटना के बाद वे कुछ दिनों तक शांत हो जाते हैं. मौका देख कर अपराधी गोरिल्ला युद्ध की तर्ज पर पुन: दूसरी घटना को अंजाम दे देते हैं. तब एकाएक फिर से पुलिस सक्रिय होती है. लिहाजा हर बार नतीजा सिफर रहता है.

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