मांदर की थाप पर थिरके फ्रांसीसी नागरिक, पारंपरिक स्वागत से हुए मंत्रमुग्ध
पारंपरिक पेय पदार्थ के स्वाद को भी चखा
Jamshedpur News :
आदिवासी संस्कृति और उनकी पारंपरिक जीवनशैली को करीब से समझने के लिए अब विदेशी भी यहां का रुख कर रहे हैं. शुक्रवार को फ्रांस से सात सदस्यीय टीम करनडीह-किनूडीह गांव का दौरा करने पहुंची. गांव के माझी बाबा रेंटा सोरेन, नायके बाबा गुरुचरण सोरेन व रैयमत सोरेन ने उनका पारंपरिक रीति-रिवाज से स्वागत किया. टीम के सदस्यों ने संताल आदिवासियों की पर्यावरण से जुड़ी जीवनशैली, खान-पान, संस्कृति, पर्व-त्योहार, पहनावा और मिट्टी के घरों की बनावट को नजदीक से देखा. मिट्टी की दीवारों में उकेरी गयी कलाकृतियों को छूकर देखा और उसकी तारीफ की. विदेशी अतिथियों ने गांव की महिलाओं और बुजुर्गों से बातचीत की तथा लोक परंपराओं और सामाजिक नियमों के बारे में जानकारी ली. फ्रांस से आयी टीम का नेतृत्व कर रहे जेरार्ड पेलिसन ने कहा कि संताल आदिवासियों की सादगी, सामूहिकता, प्रकृति के प्रति गहरा सम्मान और मिट्टी के घरों की अनोखी तकनीक ने उन्हें बेहद प्रभावित किया है. उन्होंने कहा कि बिना मशीनों और आधुनिक संसाधनों के भी यहां का जीवन संतुलित और पर्यावरण के अनुकूल है- जो आज के समय में अध्ययन और सीख का बड़ा विषय है. दौरे के दौरान विदेशी अतिथियों ने मांदर एवं नगाड़े की थाप पर पारंपरिक समूह नृत्य में भी हिस्सा लिया. साथ ही, चावल और रानू से तैयार पारंपरिक पेय का स्वाद चखा और पत्तों से बने दोने में परोसे गये हड़िया का सेवन भी किया. टीम में जेरार्ड पेलिसन, वैलेंटे पेलिसन, क्रिस्टीन फ्रेंचेट, जोसेट डुप्लौय, एनी डेलेले, दिल्ली से शानू गिरी और रांची से अमित कुमार शामिल थे. टीम ने कहा कि यह अनुभव उनके अध्ययन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहेगा और वे संताल संस्कृति के प्राकृतिक और सामाजिक संतुलन पर आधारित जीवन दर्शन को विश्व स्तर पर साझा करेंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

