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बीरभूम : फूलों की जगह मिठाई, नवनियुक्त एसडीओ की पहल बनी चर्चा का विषय

प्रशासनिक पद पर नयी जिम्मेदारी संभालने के साथ आमतौर पर बधाइयों का सिलसिला शुरू हो जाता है. फूलों के गुलदस्ते, मालाएं और औपचारिकताएं इसका हिस्सा होती हैं.

मुकेश तिवारी, बीरभूम.

प्रशासनिक पद पर नयी जिम्मेदारी संभालने के साथ आमतौर पर बधाइयों का सिलसिला शुरू हो जाता है. फूलों के गुलदस्ते, मालाएं और औपचारिकताएं इसका हिस्सा होती हैं. लेकिन बीरभूम जिले के रामपुरहाट के नवनियुक्त एसडीओ राठौड़ अश्विनी बाबू सिंह ने पदभार ग्रहण करते ही एक अलग और मानवीय पहल शुरू कर दी है, जिसकी जिलेभर में चर्चा हो रही है.

फूलों की जगह स्थायी खुशी का विचार

पद संभालने के बाद एसडीओ कार्यालय में लगातार शुभचिंतक फूलों के गुलदस्ते लेकर पहुंच रहे थे. कुछ ही घंटों में जिन फूलों की सुंदरता फीकी पड़ जाती है, उसे देखकर एसडीओ ने स्थायी खुशी फैलाने का विचार किया. इसी सोच के तहत उन्होंने अपने कार्यालय के बाहर एक असाधारण नोटिस लगवाया. नोटिस में लिखा गया है कि यदि कोई एसडीओ को बधाई देने के लिए फूलों का गुलदस्ता लाता है, तो उसके बदले मिठाई दी जा सकती है, जिसे दृष्टिदीप शिक्षानिकेतन भेजा जायेगा.

दृष्टिदीप शिक्षानिकेतन से जुड़ी प्रेरणा

एसडीओ राठौड़ अश्विनी बाबू सिंह ने बताया कि कुछ दिन पहले उन्होंने रामपुरहाट के पास कालीडांगा स्थित श्रीश्री रामकृष्ण सत्यानंद दृष्टिदीप शिक्षानिकेतन का दौरा किया था. वर्तमान में वहां 39 दृष्टिबाधित छात्र अध्ययनरत हैं. इन बच्चों की सादगी, उत्साह और मुस्कुराते चेहरे उन्हें गहराई तक छू गये. उन्होंने कहा कि सरकार इन बच्चों के लिए कई प्रयास कर रही है, लेकिन उनके चेहरे पर खुशी देखकर उन्हें लगा कि अपनी ओर से भी कुछ किया जा सकता है. इसी भावना से उन्होंने कार्यालय आने वाले हितैषियों से फूलों की जगह मिठाई लाने की अपील की.

खर्च की दिशा बदलने की अपील

एसडीओ का तर्क स्पष्ट है कि 200 या 400 रुपये का फूलों का गुलदस्ता या माला कुछ समय बाद बेकार हो जाता है. वहीं उसी रकम से खरीदी गयी मिठाई या भोजन यदि नेत्रहीन बच्चों को दिया जाये तो वह उनके लिए खुशी का कारण बन सकता है. नोटिस लगने के बाद से ही इस पहल को लेकर सकारात्मक चर्चा शुरू हो गयी है. अब कई आगंतुक फूलों की जगह मिठाई के पैकेट लेकर एसडीओ कार्यालय पहुंच रहे हैं.

छात्रों और समाज में उत्साह

जैसे मेहमान इस पहल से खुश नजर आ रहे हैं, वैसे ही दृष्टिदीप शिक्षानिकेतन के छात्र भी उत्साहित हैं. उल्लेखनीय है कि वर्ष 1991 में रामपुरहाट के कालीडांगा में स्थापित इस शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष स्वयं एसडीओ हैं. इससे पहले भी दो से तीन बार यहां मिष्ठान और भोजन भेजा जा चुका है. विद्यालय की ओर से शुभाशीष रॉय चौधरी ने कहा कि इस पहल से बच्चों में अतिरिक्त उत्साह और खुशी देखी जा रही है. फूलों की सुंदरता भले ही अस्थायी हो, लेकिन मिठाइयों के माध्यम से बच्चों के चेहरे पर फैलने वाली मुस्कान एक स्थायी खुशी का माहौल बना रही है.

जनप्रतिनिधियों ने भी सराहा प्रयास

रामपुरहाट के विधायक और डेपुटी स्पीकर आशीष बनर्जी भी एसडीओ से मुलाकात करने पहुंचे. उन्होंने भी फूलों की जगह दो पैकेट मिष्ठान लेकर जाकर इस पहल को समर्थन दिया. आशीष बनर्जी ने एसडीओ राठौड़ अश्विनी बाबू सिंह के इस मानवीय प्रयास की भूरी-भूरी प्रशंसा की.

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