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साइरस मिस्त्री के परिवार को शेयर बेचने के लिए बाध्य नहीं कर सकती टाटा संस

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय कंपनी लॉ अपीलीय ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने शुक्रवार को टाटा संस को समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री के परिवार पर हिस्सेदारी बेचने के लिए दबाव नहीं डालने को कहा है. हालांकि, ट्रिब्यूनल ने टाटा संस को पब्लिक लिमिटेड कंपनी से प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को स्थगित करने […]

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय कंपनी लॉ अपीलीय ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने शुक्रवार को टाटा संस को समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री के परिवार पर हिस्सेदारी बेचने के लिए दबाव नहीं डालने को कहा है. हालांकि, ट्रिब्यूनल ने टाटा संस को पब्लिक लिमिटेड कंपनी से प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को स्थगित करने से इनकार कर दिया. मिस्त्री ने ट्रिब्यूनल में टाटा संस को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाये जाने की प्रक्रिया रोकने के लिए याचिका दायर की है. ट्रिब्यूनल ने याचिका पर अंतरिम आदेश जारी करते हुए उसे सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया.
मामले की सुनवाई 24 सितंबर को तय की है. मिस्त्री के परिवार ने राष्ट्रीय कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल(एनसीएलटी) की मुंबई पीठ के फैसले को भी चुनौती दी है जिसमें ट्रिब्यूनल ने मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाये जाने के फैसले को सही ठहराया1 साइरस मिस्त्री को अक्तूबर 2016 में अचानक टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था. मिस्त्री परिवार ने इसके साथ ही टाटा संस को पब्लिक लिमिटेड कंपनी से प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाये जाने को भी चुनौती दी है.
मिस्त्री परिवार टाटा संस में टाटा ट्रस्ट के बाद सबसे बड़ा शेयरधारक है. टाटा संस के प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन जाने के बाद शेयर धारक स्वतंत्र रूप से अपने हिस्सेदारी नहीं बेच सकता है. उसके संविधान के अनुच्छेद 75 के तहत निदेशक मंडल शेयर धारक को उसकी हिस्सेदारी बेचने के लिए दबाव बना सकता है. ट्रिब्यूनल ने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए कि अपील लंबित है और इस दौरान यदि याचिकाकर्ता (मिस्त्री) को उसके शेयर बेचने के लिए बाध्य किया जाता है, तो अपील का उद्देश्य ही प्रभावित हो जायेगाक्योंकि वह कंपनी के सदस्य ही नही रह जायेंगे.
ऐसे में हम प्रतिवादी (टाटा संस) को निर्देश देते हैं कि वह अपील के लंबित रहने तक मिस्त्री जैसे अल्पांश शेयर धारकों के शेयर ट्रांसफर के लिए अनुच्छेद 75 का इस्तेमाल नहीं करे.’ ट्रिब्यूनल के चेयरपर्सन जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षतावाली दो सदस्यी पीठ ने टाटा संस और अन्य से 10 दिन के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है.
मिस्त्री टाटा संस के सबसे बड़े शेयरहोल्डर
क्या कहना है टाटा समूह का
टाटा संस का कहना है कि वह हमेशा से ही एक निजी कंपनी रही है, लेकिन उसके आकार को देखते हुए एक पुराने कानूनी प्रावधान की वजह से उसे पब्लिक लिमिटेड कंपनी माना गया है. कुछ साल पहले कानून में बदलाव हुआ, जिसके तहत टाटा संस के शेयरधारकों को पिछले साल उसके कानूनी स्थिति में बदलाव को मंजूरी दी गयी. इससे सायरस मिस्त्री की आपत्ति खारिज हो जाती है.
1.30 लाख करोड़ की प्रॉपर्टी खर्च नहीं कर सकते मिस्त्री
शापूरजी पालोनजी ग्रुप के चेयरमैन शापूरजी मिस्त्री 1,30,940 करोड़ रुपये (20 अरब डॉलर ) की प्रॉपर्टी का 84 फीसदी हिस्सा टाटा संस के साथ कानूनी विवाद में फंसा है. इस हिस्सेदारी को वह टाटा संस के बोर्ड की मंजूरी के बिना नहीं बेच सकते.

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