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प्रकृति और भाई-बहन के प्रेम का पर्व करमा श्रद्धा व उल्लास के साथ संपन्न

ग्रामीण क्षेत्रों में गूंजे करमा गीत, बहनों ने की भाई के दीर्घायु की कामना

पोड़ैयाहाट और बोआरीजोर प्रखंड क्षेत्र में मंगलवार को प्रकृति पर्व करमा पूरे विधि-विधान, श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया. प्रखंड मुख्यालय सहित सभी गांवों के अखाड़ों को रंग-बिरंगे फूलों और मालाओं से सजाया गया था. पूजा स्थल पर पाहन-पुजारियों द्वारा परंपरागत ढंग से पूजा-अर्चना करायी गयी. इस अवसर पर गांव की महिलाएं विशेष रूप से उत्साहित दिखीं. पूजा से पूर्व युवक-युवतियों ने नृत्य और संगीत के साथ पारंपरिक रीति से करम डाली उखाड़कर लाया. यह पर्व प्रकृति और संस्कृति के प्रति आस्था को दर्शाता है और मानव को प्रकृति से प्रेम करना सिखाता है. करमा पर्व अच्छी फसल, हरियाली और खेतों में कीट-मकोड़ों से मुक्ति के लिए भी मनाया जाता है. इस पर्व से जुड़ी करमा-धरमा की कथा कर्म और धर्म के महत्व का संदेश देती है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी करम का पेड़ अत्यधिक ऑक्सीजन देने वाला वृक्ष माना जाता है, जो इस पर्व की महत्ता को और बढ़ाता है. बोआरीजोर प्रखंड के हिजूकिता गांव में भी करमा पर्व की धूम रही. बहनों ने जावा डाली के चारों ओर घूमकर करमा नृत्य किया और भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना की. भाई-बहन के अटूट रिश्ते को दर्शाते इस पर्व में भाई करम डाली लाकर बहनों को भेंट करते हैं और उन्हें हर संकट से बचाने का वचन देते हैं. गांव-गांव में करमा गीतों की मधुर स्वर लहरियां गूंजती रहीं और पूरे क्षेत्र का वातावरण भक्ति व प्रेम से सराबोर हो गया.

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