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बच्ची से दुष्कर्म व हत्या में फांसी की सजा
आम तोड़कर देने के बहाने बच्ची को साथ ले गया था आरोपी दूसरे दिन झाड़ी में मिली थी बच्ची की लाश गिरिडीह : जिला व सत्र न्यायाधीश (पंचम) सुनील कुमार सिंह की अदालत ने बच्ची से दुष्कर्म और हत्या में दोषी मथुरा यादव को मंगलवार को फांसी की सजा (धारा 302) सुनायी. साथ ही भादवि […]
आम तोड़कर देने के बहाने बच्ची को साथ ले गया था आरोपी
दूसरे दिन झाड़ी में मिली थी बच्ची की लाश
गिरिडीह : जिला व सत्र न्यायाधीश (पंचम) सुनील कुमार सिंह की अदालत ने बच्ची से दुष्कर्म और हत्या में दोषी मथुरा यादव को मंगलवार को फांसी की सजा (धारा 302) सुनायी. साथ ही भादवि की धारा 376 में आजीवन कारावास व धारा 201 में दो वर्ष की सजा और पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
जुर्माना की रकम अदा नहीं करने पर चार माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. अदालत ने इसी कांड में शामिल मथुरा के पिता भिखारी यादव को धारा 201 में दो साल की सजा सुनायी है. मथुरा यादव 07 मई 2011 से ही जेल में है, वहीं भिखारी यादव को अदालत ने गत आठ अप्रैल को जेल भेजा था.
मामला गावां थाना अंतर्गत बादीडीह गांव का है. 07 मई 2011 को पीड़िता के दादा के बयान पर गावां थाना में मामला (कांड संख्या 28/11) दर्ज किया गया था. कहा था कि वह बकरी चराने के लिए बेहरा नामक स्थान पर गया हुआ था. इसी दौरान उसकी सात वर्षीय पोती वहां पहुंची और आम तोड़कर देने की जिद करने लगी. वहीं पर मथुरा यादव ताड़ी पी रहा था. उसने कहा कि वह बच्ची को आम तोड़कर दे देगा. मथुरा बच्ची को लेकर आम तोड़ने के बहाने चला गया. काफी देर तक बच्ची नहीं लौटी तो परिजनों ने खोजबीन शुरू की. दूसरे दिन मथुरा यादव के खेत में बोरिंग के बगल में स्थित झाड़ी में बच्ची का शव पाया गया. बच्ची का गला कटा हुआ था और शरीर के संवेदनशील अंग से रक्तस्राव हो रहा था. पुलिस ने घटनास्थल से खून लगा कपड़ा, कुल्हाड़ी और डंडा बरामद कर मथुरा को गिरफ्तार कर लिया था. सूचक ने इस मामले में मथुरा यादव और उसके पिता भिखारी यादव को नामजद अभियुक्त बनाया था. सत्रवाद संख्या 2073/11 में पुलिस ने इस कांड का आरोप पत्र न्यायालय में समर्पित किया. अभियोजन पक्ष के एडिशनल पीपी महेंद्र देव ने बताया कि फांसी के साथ अदालत ने मथुरा को धारा 376 में आजीवन कारावास की सजा भी सुनायी है. अदालत ने गत शुक्रवार को बच्ची से दुष्कर्म, हत्या और लाश छुपाने में दोनों पिता-पुत्र को दोषी करार दिया था.
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हाइकोर्ट में करेंगे अपील : अधिवक्ता
बचाव पक्ष के अधिवक्ता शिव कुमार गुप्ता ने कहा कि इस मामले में आंखों देखा कोई गवाह पुलिस के पास नहीं है. परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर उनके मुवक्किल को सजा दी गयी है. श्री गुप्ता ने कहा कि वह इस निर्णय के खिलाफ झारखंड उच्च न्यायालय में अपील दाखिल करेंगे.
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