Bangladeshi infiltration Nazmul Case : बांग्लादेशी घुसपैठ नजमुल हवलदार को रिहाई नहीं मिल सकी. वे बीते दो साल से दुमका के केंद्रीय कारा में बंद थे. लेकिन सुरक्षा बल नहीं मिलने की वजह से उन्हें रिहा नहीं किया गया. उनकी सजा 27 फरवरी को पूरी हो गई था. हालांकि जेल आइजी ने नजमुल को हजारीबाग के डिटेंशन सेंटर भेजने की अनुमति दे दी है. सुरक्षा बल मिलने के बाद नजमुल को आज या कल हजारीबाग भेज दिया जाएगा.
दुमका में रिहाई के विरोध में प्रदर्शन
बांग्लादेशी घुसपैठिया नजमूल हवलदार को रिहा किये जाने के विरोध में गुरुवार को दुमका में विरोध प्रदर्शन भी हुआ. आदिवासी सांवता सुसार आखड़ा संताल परगना की अगुवाई में आदिवासी समाज के लोगों ने आक्रोश रैली निकाली. विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे आखड़ा के संताल परगना संयोजक चंद्रमोहन हांसदा ने कहा कि, बहुत जल्द झारखंड सहित असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा के आदिवासी संतालों का राष्ट्रीय महासम्मेलन बुलाया जायेगा. इसमें गैर आदिवासियों से आदिवासी की शादी पर बड़ा फैसला लिया जायेगा.
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अदालत ने सुनाई थी 2 साल की सजा
नजमुल बांग्लादेश के खुलना दक्षिण अंचल के बगेराहाट जिले के मोरेलगंज थानांतर्गत शांतिभंगा गांव का रहने वाला है. उसे 24 फरवरी 2023 को साहिबगंज के तालझारी थाना पुलिस ने रेलवे स्टेशन के आउटर के पास मुर्छित अवस्था में गिरफ्तार किया था. जिसके बाद साहिबगंज के राजमहल थाना में विदेशी अधिनियम के तहत मामला दर्ज हुआ और नजमुल को कोर्ट में पेश किया गया. जहां उसे दो साल कारावास और दस हजार रुपया जुर्माना की सजा सुनाई गई थी.
काम के लिए भारत आया था नजमूल
नजमुल हवलदार ने पूछताछ दौरान बताया था कि एक भारतीय युवक सागर से उसकी मुलाकात बांग्लादेश में हुई थी. सागर ने ही उसे भारत में बिना पासपोर्ट के प्रवेश करवाया था. सागर ने दिल्ली में काम दिलाने के नाम पर नजमुल से 20 हजार रुपया लेकर सिलेट सीमा के पास अवैध तरीके से सीमा पार भेज दिया था. इसके बाद उसे दिल्ली में कबाड़ी का काम मिला. काम पसंद नहीं आने पर वह ट्रेन से वापस लौट रहा था. इसी दौरान ट्रेन में मौजूद लोगों ने उसे चोर समझकर ट्रेन से फेंक दिया था. जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.