तिलका मांझी की शहादत दिवस पर पहाड़िया मुक्ति सेना का प्रदर्शन
दुमका : अमर शहीद तिलकामांझी के शहादत दिवस पर दुमका के गांधी मैदान में पहाड़िया मुक्ति सेना द्वारा सभा की गयी तथा प्रदर्शन किया गया. इस सभा को संबोधित करते हुए पहाड़िया मुक्ति सेना के सचिव गयालाल देहरी ने सांवरिया देश की उस पहाड़ी भूमि को संताल परगना के पहाड़िया जाति के लिए वापस करने की मांग उठायी, जिसे तत्कालीन बंगाल सरकार के राजस्व विभाग(वन) ने 120 साल पहले 2 नवंबर 1894 को अधिगृहीत किया था.
श्री देहरी ने कहा : पहाड़िया जाति की बदहाली को देख कर इस मांग पर सरकार को अविलंब पहल करनी चाहिए. कुपोषण, गरीबी और बदहाली की वजह से पहाड़िया जाति की आबादी घटती जा रही है. पहाड़िया विकास की मॉनीटरिंग सुप्रीम कोर्ट द्वारा कराये जाने के बावजूद पहाड़िया विकास की राशि सरेंडर कर दी जा रही है, जो दुभाग्र्यपूर्ण है.
वनाधिकार अधिनियम 2006 हो रद्द
श्री देहरी ने कहा : 1790 से 1810 के बीच आये संतालों ने इस क्षेत्र में अपना निवास बनाया. बाद में अंग्रेजों ने भी उनके लिए आरक्षित भूमि दामिन में बंदोबस्ती दे दी. यह पहाड़िया के अस्तित्व को मिटने की कगार पर पहुंचाने का सबसे बड़ा कारण है. उन्होंने वनाधिकार अधिनियम 2006 को रद्द करने की भी मांग की.
साहिबगंज-पाकुड़ से भी जुटे थे पहाड़िया
पहाड़िया मुक्ति सेना की इस सभा को अध्यक्ष विरेंद्र पहाड़िया, कोषाध्यक्ष ब्रेंतुस मालतो, श्रवण कुमार, रंजीत जायसवाल आदि ने संबोधित किया. इससे पूर्व तिलकामांझी की प्रतिमा पर माल्र्यापण किया गया और उनके संघर्ष, त्याग व बलिदान को याद किया गया. इस सभा व प्रदर्शन के उपरांत आयुक्त को छह सूत्री ज्ञापन सौंपा गया.
कार्यक्रम में साहिबगंज के बरहेट, बोरियो, तालझारी, पतना, पाकुड़ के अमड़ापाड़ा, दुमका के काठीकुंड व गोपीकांदर इलाके से लोग जुटे थे. सभा में ब्रेटूस मालतो, बुदना पहाड़िया, रातमा पहाड़िया, सोहन मालतो, रोबान मालतो, गुरु गोबिंद पहाड़िया, सूरजा सुलेमान पहाड़िया, देवा पहाड़िया, सुनील पहाड़िया, दानियल मालतो, गांगी पहाड़िन,रोशिना पहाड़िन, अजरत मालतो, अब्राहम मालतो, मथियस मालतो आदि मौजूद थे.
..तो 25 से अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी
पहाड़िया मुक्ति सेना ने ऐलान किया है कि इन मांगों पर सरकार के स्तर से साकारात्मक पहल नहीं की गयी, तो 25 फरवरी को पहाड़िया लैंड (दामिन इ कोह) क्षेत्र में अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी की जायेगी और 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद पहाड़िया समाज की रक्षा के लिए जेल यात्र किया जायेगा. इससे पूर्व 23 फरवरी को अमड़ापाड़ा के अमीरजोला में जनसभा किये जाने की भी घोषणा की गयी.
मुख्य मांगे : त्नसांवरिया देश की पहाड़ी भूमि को पहाड़िया जाति के लिए वापस की जाय, त्नसरेंडर की जा रही पहाड़िया विकास की राशि का समुचित व सरजमीनी उपयोग हो. पहाड़िया ग्राम सभा के माध्यम से विकास हो., त्नकेंद्र सरकार द्वारा पारित पहाड़िया बटालियन का गठन किया जाय., त्नलबदाघाटी जैसी सामूहिक दुष्कर्म की घटना की पुनरावृति न हो, यह सुनिश्चित किया जाय., त्न सरकारी नौकरी में आदिवासी कोटा से आदिम जनजाति के लिए अलग से कोटा निर्धारित हो., त्नवनाधिकार अधिनियम 2006 को अविलंब रद्द किया जाय.