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ढिबरी युग में जी रहे लोग

मसलिया : देश जहां आज डिजिटल इंडिया का सपना देख रहा है. वहीं आजादी के 68 साल के बाद भी मसलिया प्रखंड में ऐसे गांव भी हैं. जहां बिजली का एक बल्ब तक नहीं जल पाया है. प्रखंड क्षेत्र के पहाड़गोड़ा व जाड़गोम गांव आज भी उपेक्षित है. यहां के लोग ढिबरी व लालटेन युग […]

मसलिया : देश जहां आज डिजिटल इंडिया का सपना देख रहा है. वहीं आजादी के 68 साल के बाद भी मसलिया प्रखंड में ऐसे गांव भी हैं. जहां बिजली का एक बल्ब तक नहीं जल पाया है. प्रखंड क्षेत्र के पहाड़गोड़ा व जाड़गोम गांव आज भी उपेक्षित है. यहां के लोग ढिबरी व लालटेन युग में जी रहे हैं. गोलबंधा पंचायत अन्तर्गत पहाड़गोड़ा टोला दुमका फतेहपुर मुख्य मार्ग से महज सौ मीटर की दूरी पर है. गांव में आदिवासी समुदाय के लगभग 30 परिवार हैं.

ग्रामीणों की माने तो गांव बहुत पुराना है. पर गांव में विभाग द्वारा एक खंभा तक नहीं गाड़ा गया है. ऐसी ही तस्वीर रानीघाघर पंचायत के जाड़गोम टोला गांव की भी है. यह गांव भी विभाग की उदासीनता का शिकार है. गांव को तीन साल पूर्व राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत बिजली का तार व पोल नसीब हुआ, परंतु इसे मैन लाइन से नहीं जोड़ा गया. जिस कारण यहां के लोग आज भी लालटेन जलाकर ही अपने घर को रौशन कर रहे हैं. इस गांव में आदिवासी समुदाय के लगभग 20 परिवार रहते हैं.

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