Maha Shivratri 2025 in Deoghar| देवघर, संजीव मिश्रा : बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को कामनालिंग के नाम से भी जाना जाता है. यहां शिव और शक्ति दोनों विराजमान हैं. फाल्गुन चतुर्दशी तिथि यानी शिवरात्रि के दिन बाबा भोलेनाथ की चतुष्प्रहर पूजा की जाती है. विग्रह पर माता को सिंदूर अर्पित करने की खास परंपरा का निर्वहन कर बाबा का विवाह संपन्न कराया जाता है. इस पूजा में बाबा भोलेनाथ को दूल्हे की तरह सजाया जाता है. बिल्बपत्र से सरदार पंडा विग्रह पर माता को सिंदूर अर्पित करते हैं. इससे पहले मंदिर में पारंपरिक बारात भी निकाली जाती है. विशेष पूजा के लिए मंदिर प्रबंधन की ओर से तैयारी कर ली गयी है. इधर, महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जलार्पण के लिए करीब एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है. मंदिर प्रशासन से इस दौरान भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष तैयारी कर ली है.
भोलेनाथ बनेंगे दूल्हा, लोगों में अभी से है उल्लास
बुधवार को महाशिवरात्रि है. भगवान भोलेनाथ की आराधना का दिन. बाबा मंदिर में इस दिन खास परंपरा का निर्वहन होता है. शिवरात्रि के दिन बाबा बैद्यनाथ की शृंगार पूजा नहीं होती. इस दिन विशेष चतुष्प्रहर पूजा का आयोजन किया जायेगा और बाबा भोलेनाथ इस विशेष पूजा में दूल्हा बनेंगे तथा विग्रह पर सिंदूर अर्पित कर बाबा का विवाह होगा.

बुधवार को सुबह 4 बजे के बाद भक्त कर सकेंगे जलार्पण
महाशिवरात्रि के अवसर पर बाबा की पूजा-अर्चना करने के लिए भारी संख्या में भक्त आने लगे हैं. शहर के मुहल्ले उत्तर प्रदेश और बिहार के भक्तों से भरते जा रहे हैं. बुधवार को बाबा का पट खुलने के साथ दैनिक पूजा के बाद सुबह करीब 4 बजे से आम भक्तों के लिए जलार्पण शुरू हो जायेगा. रात के करीब साढ़े 9 बजे तक जलार्पण जारी रहेगा. इस दौरान शाम में होने वाली बाबा भोलेनाथ की शृंगार पूजा नहीं होगी. रात साढ़े 9 बजे मंदिर की सफाई के बाद पट बंद कर दिया जायेगा.
विग्रह पर माता को सिंदूर अर्पित करेंगे सरदार पंडा
महाशिवरात्रि के दिन परंपरा के अनुसार, बाबा भोलेनाथ की विशेष पूजा के लिए रात 10 बजे पारंपरिक बारात निकलेगी. इसके साथ निकास द्वार से पुजारी, आचार्य और परंपरा से जुड़े लोग पूजन सामग्री के साथ बाबा मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करेंगे. उपचारक भक्ति नाथ फलाहारी की अगुवाई में आचार्य गुलाब पंडित पुजारी के तौर पर सरदार पंडा श्रीश्री गुलाबनंद ओझा को चतुष्प्रहर पूजा कराऐंगे. सबसे पहले सरदार पंडा रात में होने वाली चतुष्प्रहर पूजा का संकल्प लेंगे. उसके बाद बाबा को गंगा जल, गुलाब जल से स्नान कराने के बाद अलग-अलग मिट्टी के घड़े में रखे गये जल से स्नान कराया जायेगा.
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बाबा और मां पार्वती को दूल्हा-दुल्हन की तरह सजाया जायेगा
इस दौरान बाबा को दूध, दही, शक्कर, शहद आदि अर्पित कर पूजा की जायेगी. सभी पूजन सामग्री अर्पित करने के बाद बाबा को पुनः मलमल के कपड़े से साफ कर धोती, चादर आदि अर्पित किया जायेगा. इसके बाद चावल, डाभ, बेल, धतूरा, भष्म आदि चढ़ाने के बाद बाबा को माला पहनाकर दूल्हा बनाया जायेगा. इसके बाद बाबा के विग्रह पर माता के नाम से साड़ी के अलावा शृंगार की अलग-अलग सामग्रियां अर्पित की जायेंगी. बाबा और उनके विग्रह पर इत्र छिड़का जायेगा. ठीक वैसे ही जैसे विवाह से पहले दूल्हा-दुल्हन को तैयार किया जाता है. इसके बाद बेलपत्र से सरदार पंडा विग्रह पर माता को सिंदूर अर्पित करेंगे. इस दौरान गर्भगृह बाबा और माता के जयकारे से गूंज उठेगा. इस तरह से पहले प्रहर की पूजा संपन्न होगी. इसी तरह चार बार बाबा की पूजा की जायेगी. यह पूजा सुबह के करीब साढ़े 3 बजे तक जारी रहेगी. उसके तुरंत बाद आम भक्तों के लिए जलार्पण प्रारंभ हो जायेगा.

ढोल की थाप पर नाचेंगे बारात में शामिल लोग
बाबा मंदिर में सैकड़ों वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुरूप बाबा की पारंपरिक बारात निकाली जायेगी. यह बारात बाबा मंदिर परिसर स्थित भीतरखंड कार्यालय से निकाली जायेगी. बारात की तैयारी रात 9 बजे से शुरू हो जायेगी. बारात में दर्जनों ढोल-नगाड़े बजाने वाले शामिल होंगे. ढोल की थाप पर लोग बाबा की बारात में नाचते दिखेंगे. उसके बाद बाबा मंदिर कर्मचारी शरू राउत मशाल जलाकर बारात निकालने की तैयारी करेंगे. सारी तैयारी के बाद मशाल के साथ सरदार पंडा की अगुवाई में पूजन सामग्री के साथ भीतरखंड से पारंपरिक बारात निकाली जायेगी.
हर प्रहर की पूजा सामग्री को अलग-अलग रखा जायेगा
इस बारात में सरदार पंडा के खास माने-जाने वाले कर्मी सिगदार और भंडारी अपने हाथों में पूजा सामग्री लेकर बारात में चलेंगे. यह बारात मशाल और ढोल-नगाड़े की थाप पर भीतरखंड से निकलकर मंदिर परिसर से बाबा मंदिर के निकास द्वार पर पहुंचेगी. निकास द्वार पर द्वारी परिवार की ओर से बाबा का पट खोलकर कड़ी सुरक्षा घेरे में सबसे पहले सरदार पंडा को गर्भ गृह में प्रवेश कराया जायेगा. उसके बाद पूजन सामग्री ले जाकर मंझला खंड में रखा जायेगा. हरेक प्रहर की पूजा सामग्री को अलग-अलग रखा जायेगा.
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