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सुविधाओं के अभाव में चूक रहा निशाना, निजी खर्च से करना पड़ता है अभ्यास

देवघर : कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय खिलाड़ियों ने सबसे अधिक सात स्वर्ण पदक के साथ कुल 16 पदक निशानेबाजी में जीते हैं. यह आंकड़ा निशानेबाजों को काफी उत्साहित करता है, लेकिन देवघर जिले में संसाधन व सुविधाओं के अभाव में शूटिंग खिलाड़ियों का मनोबल टूटता जा रहा है. देवघर में सांसद मद व राज्य सरकार […]

देवघर : कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय खिलाड़ियों ने सबसे अधिक सात स्वर्ण पदक के साथ कुल 16 पदक निशानेबाजी में जीते हैं. यह आंकड़ा निशानेबाजों को काफी उत्साहित करता है, लेकिन देवघर जिले में संसाधन व सुविधाओं के अभाव में शूटिंग खिलाड़ियों का मनोबल टूटता जा रहा है. देवघर में सांसद मद व राज्य सरकार की अोर से लाखों रुपये से देवघर कॉलेज परिसर में राइफल शूटिंग रेंज का निर्माण कराया गया है. इस शूटिंग रेंज में शहर के एक दर्जन से ज्यादा खिलाड़ी रोजाना अपने लक्ष्य को भेदने के लिए रेंज में पहुंचते हैं अौर अभ्यास करते हैं, मगर उन्हें जरूरी सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं.
प्रशासन की अोर से नहीं मिल रहा है लाइसेंस
शूटिंग के लिए खिलाड़ियों को देवघर शूटिंग रेंज से बाहर निकलकर दूसरे शहर व दूसरे प्रांतों में जाना पड़ता है. इसके लिए खिलाड़ियों को फायर आर्म्स की आवश्यकता पड़ती है. लाइसेंस के अभाव में देवघर के खिलाड़ियों में हमेशा डर समाया रहता है. खिलाड़ियों को 0.22 बोर व 0.32 बोर वाले राइफल का लाइसेंस होना जरूरी है. यह लाइसेंस जिला प्रशासन की अोर से निर्गत होता है. मगर न जिला खेल प्राधिकरण, न राइफल शूटिंग संघ अौर न प्रशासन की अोर से लाइसेंस देने के लिए कोई पहल की गयी है. लाइसेंस मिल जाने से खिलाड़ी बाहर बेझिझक होकर फायर आर्म्स के साथ आ-जा सकते हैं.
कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर कर चुके हैं प्रदर्शन
हाल के दिनों में रेंज से जुड़े कई खिलाड़ी मुकुल आनंद, स्वयं सत्यम आदि राज्य स्तरीय, क्षेत्रीय स्तर व राष्ट्रीय स्तर के राइफल शूटिंग कंपीटिशन में हिस्सा ले चुके हैं. राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हिस्सा लेना शहरवासियों के लिए गौरवशाली क्षण रहा, इसके बावजूद खिलाड़ियों को किसी तरह की कोई प्रशासनिक सहायता नहीं मिल रही है. स्थिति यह है कि आज भी शूटिंग रेंज से जुड़े खिलाड़ी निजी खर्च पर प्रत्येक दिन सुबह-शाम शूटिंग की प्रैक्टिस करते हैं. जिला राइफल शूटिंग संघ रेंज से जुड़े खिलाड़ी कुमार आयुष, मुकुल आनंद, स्वयं सत्यम, संजय पांडेय, अमित, पीयूष आदि से प्रत्येक माह 300 रुपये की फीस देते हैं.
खिलाड़ियों को मासिक फीस के साथ गाेली का खर्च भी करना पड़ता है वहन
जिला राइफल शूटिंग संघ प्रत्येक माह रेंज से जुड़े खिलाड़ियों से तीन सौ रुपये की फीस लेता है. इसके बदले संघ रेंज का रख-रखाव व टारगेट पेपर मुहैया कराता है. जबकि गोली की कीमत खिलाड़ी खुद वहन करते हैं. इसके लिए खिलाड़ियों को 0.22 बोर की एक गोली लगभग 20 रुपये में अौर 0.32 बोर की प्रत्येक गोली 45 रुपये में खरीदनी पड़ती है.
इसके अलावा जब खिलाड़ी राइफल शूटिंग की प्रैक्टिस करने के लिए शूटिंग रेंज में होते हैं तो प्राय: बिजली कटी हुई रहती है. रोशनी के अभाव व उमस भरी गर्मी के कारण खिलाड़ियों की एकाग्रता भंग हो जाती है और वे ज्यादा देर तक प्रैक्टिस के लिए समय नहीं दे पाते हैं. नतीजा खिलाड़ियों का प्रदर्शन खराब हो रहा है.
राज्यसभा सांसद ने कराया था निर्माण
पूर्व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने अपने फंड से देवघर कॉलेज परिसर में राइफल शूटिंग रेंज के लिए लाखों रुपये दिये थे. उन पैसों से शूटिंग रेंज 10 मीटर, 25 मीटर व 50 मीटर दूरी वाले टारगेट मशीन के साथ खिलाड़ियों को कूल-कूल रखने के लिए 28 एसी लगाये गये हैं. मगर बिजली के अभाव में सब बेकार साबित हो रहा है.
कहते हैं संघ के अध्यक्ष
संघ के पास अलग से कोई फंड नहीं होता है. ऐसे में संघ खिलाड़ियों को सिर्फ टारगेट पेपर ही मुहैया करा पाता है. गोली की व्यवस्था खिलाड़ी खुद करते हैं. जल्द ही व्यवस्था में सुधार करने की कोशिश करेंगे.

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