: किसान बहुल गांव बिसनापुर में सिंचाई की ठोस व्यवस्था नहीं : गांव के एक स्कूल को दूसरे गांव के स्कूल में मर्ज कर दिया : एक जलमीनार लगी थी, जिसका लोगों को नहीं मिला लाभ : प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम में लोगों ने रखी अपनी बात गिद्धौर. प्रखंड के बिसनापुर गांव में शुक्रवार को प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां लोगों ने खुल कर क्षेत्र की समस्याएं रखी. गांव में आज भी कई मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. गांव की सबसे बड़ी समस्या पेयजल व शिक्षा से जुड़ी समस्या है. किसान बहुल इस गांव में लोग गर्मी के दिनों में पेयजल संकट से जूझते हैं. इस साल भी यही स्थिति है. लोग जहां-तहां से पानी की जुगाड़ कर अपनी प्यास बुझा रहे हैं. पानी के अभाव में सिंचाई करने में भी दिक्कत आ रही है. पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल द्वारा गांव में वित्तीय वर्ष 2023-24 में मिनी जलमीनार बनायी गयी थी, लेकिन वह बेकार पड़ी है. लाेगों को आज तक इस मिनी जलमीनार का लाभ नहीं मिला है. गांव में उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय था, लेकिन विद्यालय का समायोजन तीन किमी दूर मारंगी विद्यालय में कर दिया गया है, जिसके कारण यहां के बच्चों को पढ़ाई करने जाने में दिक्कत होती है. कई बच्चे निजी विद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं. जलमीनार का नहीं मिल रहा लाभ : सुरेंद्र सुरेंद्र कुशवाहा ने कहा कि गांव में पानी की कोई सुविधा नहीं है. जलमीनार बनायी गयी है, लेकिन उसका लाभ नहीं मिल रहा है. जलमीनार बेकार पड़ी हुई है. जलमीनार लगने से पानी से जुड़ी समस्या से निजात की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बच्चों को पढ़ाई करने में हो रही दिक्कत : अजीत अजीत प्रजापति ने कहा कि गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय का समायोजन (मर्ज) होने के बाद बच्चों को पढ़ाई करने में दिक्कत हो रही है. कुछ बच्चे दूसरे गांव के विद्यालय में जाकर पढ़ाई कर रहे हैं, तो कुछ पढ़ाई से वंचित हो जा रहे हैं. गांव में सिंचाई की सुविधा नहीं : अर्जुन दांगी अर्जुन दांगी ने कहा कि सिंचाई की सुविधा नहीं होने के कारण खेती करने में दिक्कत होती है. गांव से दूर डाडी दोहर कुआं से मोटर पंप के माध्यम से पानी खेतों तक लाते हैं, जब फसलों का पटवन हो पाता है. इसमें समय के साथ-साथ आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. गर्मी में होती है पानी की किल्लत : रेणु देवी रेणु देवी ने कहा कि सुबह उठते ही पानी की चिंता सताने लगती है. सबसे अधिक परेशानी गर्मी के दिनो में होती है. इस वर्ष भी पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है. जलमीनार का लाभ मिलता, तो पानी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता. जनप्रतिनिधियों का ध्यान नहीं : देवलाल देवलाल प्रजापति ने कहा कि जलमीनार बेकार पड़ी है. आहर सूखा है. आम लोगों के साथ-साथ मवेशियों को भी दिक्कत होती है. गांव की समस्या की ओर जनप्रतिनिधि व पदाधिकारियों का ध्यान नहीं है. अगर सजग होते, तो शायद समस्या का समाधान हो जाता. दूर से पानी लाकर सिंचाई करते हैं: थानेश्वर थानेश्वर दांगी ने कहा कि गांव किसान बहुल होने के बाद भी सिंचाई की कोई सुविधा नहीं है. सिंचाई के अभाव में सही से खेतीबारी नहीं कर पाते हैं. लंबी दूरी से पंप के माध्यम से पानी कर लाकर सिंचाई करने में दिक्कत होती है. बच्चों की शिक्षा को लेकर भी चिंता रहती है.
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