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अपराध. मां-बाप से छिन गया बुढ़ापे का सहारा, पत्नी बेहाल, बेटी पूछ रही-कहां हैं पापा?

थोड़ी-सी जमीन बनी जान का दुश्मन सीतामढ़ी/सुप्पी : नौ डिसमिल जमीन के विवाद ने अंबा खुर्द गांव में एक मां-बाप का उसका औलाद छीन लिया. जो विनय कल तक अपने मां-बाप के बुढ़ापे का सहारा बना था, आज अभागा बाप उसकी लाश देख कर छाती पीट रहा है. पुत्र के वियोग में मां का बुरा […]

थोड़ी-सी जमीन बनी जान का दुश्मन

सीतामढ़ी/सुप्पी : नौ डिसमिल जमीन के विवाद ने अंबा खुर्द गांव में एक मां-बाप का उसका औलाद छीन लिया. जो विनय कल तक अपने मां-बाप के बुढ़ापे का सहारा बना था, आज अभागा बाप उसकी लाश देख कर छाती पीट रहा है. पुत्र के वियोग में मां का बुरा हाल है. वह रह रह कर बेहोश हो जा रही है.
गूंजा कुमारी का सुहाग छीन गया है तथा मासूम खुशी एवं आठ माह का प्रियम बेसुध पड़े, दादा-दादी एवं मां के चेहरे को देख रहे हैं.
कल तक हंसी खुशी के साथ जिंदगी काट रहे सीताराम सिंह के घर में चीत्कार मचा है. यह दर्द किसी बेगानों ने नहीं, अपनों ने दिया है. जिस सगे भाई पर सीताराम सिंह सबसे अधिक भरोसा करते थे, वहीं अब जानी दुश्मन बन गया है.
पिछले 20 वर्षों से चल रहा भूमि बंटवारे का विवाद रविवार की सुबह खूनी अदावत में बदल गया. हत्या के मुख्य सूत्रधार संजीव आनंद ने अपने हीं चेचेरे भाई की जान ली है. जानकारी के अनुसार, महेश्वर सिंह, युगल किशोर सिंह, सीताराम सिंह एवं राम राज सिंह चार भाई हैं.
इनमें महेश्वर सिंह की मृत्यु हो चुकी है. चारों भाइयों में पहले काफी मेल-जोल था, यही वजह थी कि काफी वर्षों तक इनके बीच जमीन का कोई बंटवारा नहीं हुआ था. मौखिक तौर पर चारों भाइयों का परिवार 12 एकड़ जमीन जोत में रखा था.
बेच रहे थे नौ डिसमिल जमीन: पिछले कुछ दिन से युगल किशोर सिंह घरारी के नौ डिसमिल जमीन को अपने एक ग्रामीण से बिक्री करना चाहते थे. इसका विरोध सीताराम सिंह कर रहे थे. सीताराम सिंह का कहना था कि जब तक जमीन के हिस्से का बंटवारा नहीं हो जाता है, तब तक वह जमीन कैसे बेच सकते हैं?

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