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क्राइम अनकंट्रोल. घटना के बाद सड़क पर उतरे शहरवासी, आक्रोिशत व्यवसािययों व लोगों ने की आगजनी

मोहन की हत्या से शहर में भड़का जनाक्रोश बेखौफ अपराधियों से जिले के लोग दहशत में आ गये हैं. लोग प्रशासन को कोस रहे हैं वहीं प्रशासन के लगातार छापेमारी व दबिश के बावजूद अपराध रुकने का नाम नहीं ले रहा है. व्यवसायी की हत्या से व्यवसायी वर्ग में असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो रही […]

मोहन की हत्या से शहर में भड़का जनाक्रोश

बेखौफ अपराधियों से जिले के लोग दहशत में आ गये हैं. लोग प्रशासन को कोस रहे हैं वहीं प्रशासन के लगातार छापेमारी व दबिश के बावजूद अपराध रुकने का नाम नहीं ले रहा है. व्यवसायी की हत्या से व्यवसायी वर्ग में असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो रही है.

सीतामढ़ी : हत्या व रंगदारी की घटनाओं को लेकर भयभीत व्यवसायियों का आक्रोश मोहन की मौत के बाद भड़क कर सड़क पर उतर गया. दिन-दहाड़े मोहन की मौत की घटना को लेकर सहमे व आक्रोशित व्यवसायियों को शहर की आम जनता का भी समर्थन मिल गया. मोहन की मौत की खबर सुनते ही सदर अस्पताल में शहरवासियों की भीड़ उमड़ गयी. अपने-अपने अंदाज में लोग बिहार सरकार व पुलिस प्रशासन को खरी-खोटी सुना रहे थे.

लाव-लश्कर के साथ पहुंचे अधिकारी : दिन-दहाड़े मोहन की मौत से पुलिस अधिकारी भी सकते में थे. उन्हें भी सदर अस्पताल में व्याप्त आक्रोश की भनक लग चुकी थी. यही कारण था कि वे भी सदर अस्पताल में पूरी तैयारी के साथ पहुंचे. अधिकारियों के पहुंचने के बाद व्यवसायियों ने उनके विलंब से आने पर आक्रोश प्रकट करते हुए खूब खरी-खोटी सुनायी. पुलिस प्रशासन मुरदाबाद के नारा से पूरा सदर अस्पताल गूंज रहा था.

शहर की दुकानें होने लगीं बंद: शाम सात बजे तक पूरे शहर में मोहन की हत्या की खबर जंगल में आग की तरह फैल चुकी थी. छोटे-बड़े व्यवसायी अपनी दुकान को बंद कर सदर अस्पताल की ओर सरपट दौड़ पड़े.

कुछ व्यवसायी ऐसे भी देखे गये, जो दुकान बंद करने के बाद चप्पल-जूता पहनना भी भूल गये. वे नंगे पाव सदर अस्पताल पहुंचे. आठ बजे तक शहर की अधिकांश दुकान बंद हो गयी थी.

10 मिनट तक कराहती रही मानवता : गोली लगने के बाद मोहन सड़क पर तकरीबन 10 मिनट तक छटपटाता रहा.

इस दौरान खेत में काम कर रहे किसानों के अलावा आसपास के लोग भी अपराधियों के जाने के बाद घटनास्थल की ओर दौड़े. सभी की आंखों में मोहन के प्रति ममता छलक रही थी, लेकिन कोई उसकी मदद को आगे नही आया. 10 मिनट तक मानवता कराहती रही, लेकिन किसी ने आगे बढ़ कर उसे अस्पताल ले जाने का साहस या मानवता नहीं दिखाया. मोहन के लिए एक तरह से मसीहा बन कर सदर डीएसपी पहुंचे, लेकिन अपना कर्तव्य का निर्वाह करने के बाद वे मोहन की जान नही बचा सके.

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