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शहीदी मेला को एसएसबी ने उखाड़ फेंका

शहीदी मेला को एसएसबी ने उखाड़ फेंका फोटो नंबर-17, गिरा हुआ तोरणद्वार, 18, गश्त करते एसएसबी जवान, 19, स्मारकशहीदी स्मारक को किया क्षतिग्रस्तलाठीचार्ज में दर्जनों लोग चोटिलआयोजन स्थल पर पसरा सन्नाटवर्ष 2010 से हो रहा शहीदी मेला का आयोजननक्सलियों के मेला की होती है चर्चाप्रतिनिधि, रुन्नीसैदपुर. थाना क्षेत्र में अंतर्गत गिद्धा फुलवरिया गांव में शहीदी […]

शहीदी मेला को एसएसबी ने उखाड़ फेंका फोटो नंबर-17, गिरा हुआ तोरणद्वार, 18, गश्त करते एसएसबी जवान, 19, स्मारकशहीदी स्मारक को किया क्षतिग्रस्तलाठीचार्ज में दर्जनों लोग चोटिलआयोजन स्थल पर पसरा सन्नाटवर्ष 2010 से हो रहा शहीदी मेला का आयोजननक्सलियों के मेला की होती है चर्चाप्रतिनिधि, रुन्नीसैदपुर. थाना क्षेत्र में अंतर्गत गिद्धा फुलवरिया गांव में शहीदी नक्सली नेताओं की याद में सोमवार से शुरू होने वाले शहीदी मेला का आरंभ होने के कुछ देर बाद ही एसएसबी ने हटा दिया. लाव-लश्कर के साथ दोपहर तीन बजे एसएसबी जवानों ने नक्सली शहीदों के शिलापट्ट को क्षतिग्रस्त करते हुए तोरणद्वार को गिरा दिया. मेला में शामिल लोगों पर चली लाठीएसएसबी ने मेला में पहुंचते हुए तोड़फोड़ करते हुए लाठी चलानी शुरू कर दी. एसएसबी के सामने आने वाले सभी उम्र के लोग लाठी के शिकार हुए. पत्रकारों को भी फोटो नहीं करने की सख्त हिदायत दी गयी. दुकानदारों को अपनी दुकान हटाने का निर्देश देते हुए उनकी भी पिटायी की गयी. इस दौरान मेला में भगदड़ व दहशत का माहौल व्याप्त हो गया. लोग इधर-उधर भाग कर अपनी जान बचा रहे थे. लाठीचार्ज से दर्जनों लोग चोटिल हो गये. कुछ ही देर में आयोजन स्थल पर सन्नाटा पसर गया. कई दिनों से खौफ है व्याप्तवर्ष-2010 से आयोजित होने वाले तीन दिवसीय शहीदी मेला का नक्सलियों का मेला माना जाता है. यही कारण है कि मेला के आरंभ होने से कई दिन पूर्व से पुलिस की गतिविधि बढ़ जाती हैं. खुफिया विभाग भी पूरी तरह सक्रिय हो जाता है. हालांकि पूर्व की अपेक्षा इस वर्ष पुलिस की चौकसी अधिक रहने के कारण मेला की रौनकता पहली वाली नहीं थी. नक्सली शहीदी स्मारक की रंगाइ-पुताइ व साज-सज्जा भी नहीं हो सकी थी. शहीद नेताओं के नाम पर किये जाने वाले नामाकरण बैनर तक नही लगाया गया था. गौरतलब है कि प्रति वर्ष 28 से आरंभ शहीदी मेला 31 दिसंबर को समाप्त हो जाता है. परंपरा रही है कि नक्सली के बड़े नेता शहीदी स्मारक पर पुष्प अर्पित कर मेला का उद्घाटन करते रहे हैं. 30 दिसंबर की मध्य रात्रि में नक्सली नेताओं द्वारा मेला में उपस्थित भीड़ को संबोधित कर मेला समाप्ति की विधिवत घोषणा की जाती रही है. वर्ष-2010 में तरियानी थाना क्षेत्र के छपरा गांव निवासी रघुनाथ प्रसाद सिंह व रामदुलारी कुंवर की लगभग डेढ़ कट्ठा जमीन पर नक्सलियों ने लाल रंग से पोताइ किये नक्सली शहीद स्मारक का निर्माण मैमुद्दीन उर्फ रवि जी नामक नक्सली की याद में किया. उसी वर्ष से मेला का आयोजन शुरू हुआ. स्मारक पर मैमुद्दीन के अलावा 28 नक्सली शहीद का नाम अंकित है. मेला में नाच-गान की व्यवस्था भी रहती रही है.

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