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प्रबंधन मेहरबान, पूर्व के आरोपी नर्स को फिर से दिया प्रसव वार्ड का कमान

आरोपी नर्स को व्यतिगत लाभ के लिए प्रबंधन के कुछ लोगों की मिलीभगत से फिर से उसका कार्य क्षेत्र वही बना दिया

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एक वर्ष पूर्व प्रसव कराने के नाम पर मरीज के परिजन से लिया था 85 सौ रुपया खबर छपने के बाद जिलाधिकारी वैभव चौधरी ने संज्ञान लेते दिया था जांच का आदेश जांच के दौरान आरोप सिद्ध होने पर तत्कालीन अस्पताल उपाधीक्षक ने किया था प्रसव वार्ड से विमुक्त सहरसा सदर अस्पताल से मॉडल अस्पताल बन जाने के बाद भी बिचौलियों पर प्रबंधन की नकेल नगण्य है. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण सदर अस्पताल के प्रसव वार्ड को लूट का अड्डा बनाने वाली ए ग्रेड नर्स को मिलने वाली सजा की जगह प्रबंधन के लोग उसे प्रोत्साहित करने में लगे हैं. जबकि एक वर्ष पूर्व प्रसव वार्ड में मरीज के परिजन से रुपया लेकर संक्रमित मरीज का प्रसव कराने वाली नर्स के मामले में संज्ञान लेने के बाद जिलाधिकारी वैभव चौधरी ने जांच का आदेश तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ मुकुल कुमार को दिया था. जिसके बाद सिविल सर्जन के निर्देश पर तत्कालीन अस्पताल उपाधीक्षक डॉ एसपी विश्वास ने मामले की जांच कर प्रसव वार्ड में ड्यूटी पर तैनात नर्सों से स्पष्टीकरण मांगा था और तत्काल जांच के दौरान प्रसव वार्ड से विमुक्त करते इमरजेंसी में कर्तव्य के लिए भेज दिया था. वहीं एक वर्ष बाद उसी आरोपी नर्स को व्यतिगत लाभ के लिए प्रबंधन के कुछ लोगों की मिलीभगत से फिर से उसका कार्य क्षेत्र वही बना दिया जहां से अस्पताल आने वाले गरीब मरीजों को सरकार की योजनाओं का लाभ की जगह उसका आर्थिक दोहन किया जा सके. एक वर्ष पूर्व यह था मामला एक वर्ष पूर्व सदर अस्पताल के प्रसव वार्ड में ड्यूटी पर तैनात नर्स के द्वारा एक भर्ती मरीज के परिजन से प्रसव कराने के नाम पर पैसे के लेनदेन का मामला सामने आया था. जिसमें भर्ती मरीज के परिजन ने ड्यूटी पर तैनात ए ग्रेड नर्स रीमा कुमारी व पंखुड़ी प्रिया पर प्रसव कराने के बदले 85 सौ रुपया लेने का आरोप लगाया था. परिजनों ने कहा था कि मरीज को प्रसव के लिए सदर अस्पताल के प्रसव वार्ड में भर्ती कराया था. जहां मौजूद नर्स द्वारा मरीज की जांच रिपोर्ट भी देखी गयी थी. जिसमें मरीज का हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव था. जिसको लेकर उस वक्त मरीज का प्रसव सदर अस्पताल में संभव नहीं था. बावजूद मौजूद नर्स ने गुपचुप तरीके से परिजन से 13 हजार रुपया केकी मोटे रकम की मांग करते मरीज का प्रसव वार्ड में करा देने की बात कही थी. जिसपर परिजन द्वारा काफी मिन्नत करने के बाद रीमा कुमारी द्वारा 85 सौ रुपया लेकर प्रसव करा दिया गया. जबकि मरीज के संक्रमित रहने के कारण पैसे के लोभ में तैनात दोनों नर्स ने प्रबंधन के लोगों की मिलीभगत से पूरे प्रसव वार्ड को ही संक्रमित कर दिया था. वहीं प्रसव के बाद अगले सुबह मरीज के परिजन ने ड्यूटी पर तैनात नर्सों के द्वारा प्रसव कराने के एवज में मोटी रकम लेने की बात सामने आई थी. जो बाद पूरे अस्पताल परिसर में आग की तरह फैल गई थी. उसके बाद सरकारी स्वास्थ्य संस्थान में प्रसव मरीज के परिजन से पैसे की लेनदेन व कर्मियों की कर्तव्यहीनता सहित सदर अस्पताल की छवि धूमिल करने को लेकर समाचार पत्रों ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी. जिस पर जिलाधिकारी वैभव चौधरी ने त्वरित संज्ञान लेते सिविल सर्जन से मामले की जांच का आदेश दिया. जिसके बाद प्रबंधन के कान खड़े हो गये थे. प्रबंधन ने जिलाधिकारी के आदेश का त्वरित पालन करते सबसे पहले पूरे प्रसव वार्ड को सैनेटाइज करते 24 घंटे के लिए बंद करा दिया. साथ ही तत्कालीन अस्पताल उपाधीक्षक डॉ एसपी विश्वास ने मामले की जांच को लेकर पत्र के माध्यम से एक आदेश जारी किया था. जिसमें प्रसव वार्ड में तैनात दोनों नर्सों को जांच की प्रक्रिया पूरी होने तक तत्काल प्रभाव से विमुक्त करते हुए अगले आदेश तक मॉडल सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में कर्तव्य पर रहने का आदेश निर्गत किया था. वहीं एक वर्ष बाद उसी आरोपी नर्स रीमा कुमारी को मातृ शिशु अस्पताल के प्रसव वार्ड में तैनात कर दिया गया है. इतना ही नहीं प्रबंधन के लोग उस आरोपी नर्स पर इतना मेहरबान हैं कि प्रसव वार्ड में उसकी एक शिफ्ट की ड्यूटी नहीं दो दो शिफ्ट की ड्यूटी लगायी जा रही है. आरोप के बाद प्रबंधन ने बना दिया था इंचार्ज कर्तव्यहीनता की आरोपी नर्स पर कार्रवाई की जगह उसके चहेते और उनके कार्यों में मिलीभगत वाले प्रबंधन के लोगों ने उसे प्रसव वार्ड से विमुक्त होते ही मॉडल सदर अस्पताल के इमरजेंसी का इंचार्ज बनाकर उन दोषियों से काफी वाहवाही लूटी थी. जबकि मामले के बाद तत्कालीन अस्पताल उपाधीक्षक डॉ एसपी विश्वास ने मामले की जांच की थी तो दोनों नर्स पर लगाये गये आरोप सत्य पाया गया था. जिसके बाद दोनों नर्सों से स्पष्टीकरण मांगते हुए प्रसव वार्ड से दोनों का कर्तव्य स्थल बदल दिया गया था. जिसमें एक नर्स रीमा कुमारी को इमरजेंसी के मेल मेडिकल वार्ड का इंचार्ज बना दिया था. कहते हैं जिम्मेदार मामले को लेकर प्रभारी अधीक्षक डॉ सुशील कुमार आजाद ने बताया कि पूर्व का मामला है. उनकी जानकारी में नहीं है. संज्ञान में बात आयी है. पूर्व के तत्कालीन डीएस द्वारा प्रसव वार्ड में तैनात नर्स पर कर्तव्यहीनता का आरोप लगाते जो कार्रवाई की गई थी, उसके बारे में जानकारी हासिल करते हैं. यदि नर्स पर लगाया गया पूर्व का मामला सही पाया गया तो उस नर्स को प्रसव वार्ड से हटाया जायेगा. फोटो – सहरसा 07 – मॉडल सदर अस्पताल फोटो – सहरसा 08 – एक वर्ष पूर्व छपी खबर, जिसपर आरोपी नर्स पर हुई थी कार्रवाई फोटो – सहरसा 09 – रोस्टर जिसपर पूर्व के आरोपी नर्स से दो शिफ्ट में कराया जा रहा कार्य

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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