भगवती तारा को छप्पन भोग लगा की विश्वशांति की कामना विशिष्ट दिवस पर तांत्रिकों ने भी तंत्र साधना की सिद्धिप्रतिनिधि, महिषीबुद्ध की तपस्थली अति प्राचीन सिद्धपीठ उग्रतारा मंदिर में सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार, मकर संक्रांति के अवसर पर 56 व्यंजनों का भोग परोस विश्व शांति की कामना की गयी. पंडित व धर्मशास्त्राचार्यों के मुताबिक ग्रहों के एक से दूसरे राशि में प्रवेश करने को संक्रांति कहा जाता है. इसमें सूर्य का संक्रमण होता है. इस वर्ष सूर्य का संक्रमण शुक्रवार एक दंड 31 पल यानी सात बजकर 21 मिनट सुबह में हुआ. आर्य ऋषियों की गणना के मुताबिक इस वर्ष का संक्रांति काल शुभ फलदायी है. सज्जनों को आंशिक कष्ट व पापकर्म करने वालों का हानि होना अवश्य संभावी है. शक्ति के तीनों मूलबीज महाकाली, महालक्ष्मी व महासरस्वती के सम्मानित स्वरूप में प्रतिस्थापित भगवती उग्रतारा को संपूर्ण ग्रामवासियों, स्थानीय पुजारियों व श्रद्धालुओं के सम्मिलित प्रयास से नव धान्य फसलों से भोग सामग्री तैयार कर विशिष्ट पूजा अर्चना करने की व्यवस्था पौराणिक है. ऐसी मान्यता है कि ब्रह्मा पुत्र ऋषि वशिष्ठ अपनी आराध्या भगवती उग्रतारा को प्रसन्न करने के लिए चीनाचार तंत्र पद्धति से मकर संक्रांति के दिन से ही उपासना शुरू की थी. तंत्र साधना के लिए मकर संक्रांति को पुण्य काल माना जाता है व सिद्ध पीठों में साधक अपने इच्छित फलों की प्राप्ति के लिए जप, तप व हवन करते हैं. शुक्रवार को अहले सुबह से ही पुजारी शुभकांत झा, सुंदरकांत झा, ताराकांत झा, तीर्थानंद झा, अमरकांत झा सहित पुजारी परिवार के अन्य सदस्य अपने यजमानों के सानिध्य में खिचड़ी सहित अन्य भेग यसामग्री की तैयारी में जुट गये. दिन भर श्रद्धालु व भक्तों का आना जारी रहा. इस महापूजा में सभी प्रकार के समसामयिक फलों व मिष्टान्नों सहित सामिष व निरामिष भोग व्यंजन परोसा गया. गांव के सभी परिवारों के लोग इस विशिष्ट भेग के दर्शन में देर रात तक आते रहे. साधक व तांत्रिक अपनी तंत्र साधना में लगे रहे. मकर संक्रांति पर उग्रतारा पीठ में जिले के अलावा मधेपुरा, सुपौल, खगड़िया, दरभंगा, मधुबनी समेत नेपाल के श्रद्धालुओं ने महिषी के उग्रतारा में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी.फोटो- तारा 7- मां उग्रतारा को लगाया गया छप्पन भोग
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भगवती तारा को छप्पन भोग लगा की वश्विशांति की कामना
भगवती तारा को छप्पन भोग लगा की विश्वशांति की कामना विशिष्ट दिवस पर तांत्रिकों ने भी तंत्र साधना की सिद्धिप्रतिनिधि, महिषीबुद्ध की तपस्थली अति प्राचीन सिद्धपीठ उग्रतारा मंदिर में सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार, मकर संक्रांति के अवसर पर 56 व्यंजनों का भोग परोस विश्व शांति की कामना की गयी. पंडित व […]
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