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शहीदों की प्रतिमा लगाने का मामला अटका

तारापुर : तारापुर के वीर शहीदों की याद में बनाये जाने वाले शहीद स्मारक पर शहीदों की स्मृति में आदमकद प्रतिमा स्थापित करने का मामला अधर में लटक गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश के आलोक में भवन निर्माण विभाग ने शहीद स्मारक पर शहीदों की प्रतिमा लगाने की निविदा तय की थी और […]

तारापुर : तारापुर के वीर शहीदों की याद में बनाये जाने वाले शहीद स्मारक पर शहीदों की स्मृति में आदमकद प्रतिमा स्थापित करने का मामला अधर में लटक गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश के आलोक में भवन निर्माण विभाग ने शहीद स्मारक पर शहीदों की प्रतिमा लगाने की निविदा तय की थी और संबंधित संवेदक को कार्य भी आवंटित कर दिया. लेकिन जब संवेदक कार्य करने शहीद स्मारक स्थल पर पहुंचा तो भूमि विवाद का मामला सामने आ गया. शहीद स्मारक के जिस भूमि पर कार्य होना है उसे स्थानीय एक व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत बताया जा रहा.

इस कारण स्मारक भवन पर कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया. विदित हो कि तारापुर मुख्य बाजार में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह ने 1984 में शहीद स्मारक भवन कर उद्घाटन किया था और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी व लालू प्रसाद यादव ने यहां शहीदों के आदमकद प्रतिमा निर्माण के निर्माण की आधारशिला रखी थी.
भू-मालिक ने कार्य रोका: बताया जाता है कि कथित भू-मालिक चंद्रशेखर सिंह द्वारा कार्य पर रोक लगा दिया गया. उनका कहना है कि यह जमीन न्यायिक प्रक्रिया के तहत उनकी है. निर्माण कार्य बगैर उनके सहमति के अवैधानिक है. संस्थान प्रांगण में प्रतिमा स्थापन कार्य रोके जाने पर स्थानीय लोगों में विभिन्न प्रकार की चर्चा शुरू हो गई है.
लोगों को यह पता था कि हाट के जमीन को व्यवहार न्यायालय मुंगेर के नाजिर द्वारा ढोल बजा कर चंद्रशेखर सिंह को दखल दिहानी दी गयी है. लेकिन यह पता नहीं था कि शहीद स्मारक भवन भी उन्हें दे दिया गया है.
कहते हैं भू-मालिक : चंद्रशेखर सिंह का कहना है कि तारापुर मौजा के खाता 115 खसरा 10 रकवा 117 डिसमिल जमीन पर ही शहीद स्मारक भवन है. पूरी जमीन न्यायालय के आदेश पर सरकारी तंत्र द्वारा उसे विधिवत दखल दिहानी दी गयी है.
इस जमीन पर निर्माण होने की जानकारी की सूचना पर मैंने विधिवत भवन निर्माण विभाग के अभियंता को लिखित सूचना देकर आपत्ति दी थी. बावजूद बाद में ठेकेदार भेज कर कार्य प्रारंभ करना न्यायालय के आदेश सहित सरकार द्वारा दखल कब्जा दिलाने की भी अवमानना है.
कहते हैं सामाजिक कार्यकर्ता : शहीद स्मारक संस्थान से जुड़े समाजिक कार्यकर्ता चंदर सिंह राकेश ने कहा कि अधिकारियों ने न्यायालय में सरकार के पक्ष नहीं रखकर चंद्रशेखर सिंह को लाभ पहुंचाया. शहीद स्मारक संस्थान के संबंध में उच्च न्यायालय के सीडब्लूजेसी 64/2001 में 19.01.2009 में पारित आदेश में इसका स्वामित्व शहीद स्मारक संस्थान समिति को दिया गया है.
इस मामले में खुद चंद्रशेखर सिंह ने इन्टरवेनर आवेदन दिया था एवं शहीद स्मारक संस्थान के अस्तित्व को स्वीकारा था. सन 1987 में वे इसके आजीवन सदस्य भी 501 रुपया शुल्क जमाकर बने थे. जिस जमीन पर वे दावा की बात कर रहे हैं वह जब खरीदे थे तो उसमें भूमि का किस्म परती कदीम लिखी गई थी. जबकि भवन का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व चंद्रशेखर सिंह कर चुके थे. आज तक संबंधित जमीन का दाखिल खारिज तक नहीं हुआ.
कहते हैं अनुमंडल पदाधिकारी : तारापुर के अनुमंडल पदाधिकारी उपेंद्र सिंह ने कहा कि वर्तमान स्थिति में शहीद स्मारक संस्थान के किसी कार्य में मैं कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता.

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