Operation Sindoor: पटना. 1971 में पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने वाले ‘पायलट बाबा’ का बिहार से गहरा संबंध रहा है. रोहतास जिले के नोखा प्रखंड स्थित विशुनपुरा गांव में 15 जुलाई 1938 को जन्मे कपिल सिंह की प्रारंभिक शिक्षा गांव से हुई थी, बाद में उनके मेधा बुद्धि के कारण उनका चयन भारतीय वायुसेना में हो गया. 1957 में भारतीय वायुसेना में कमीशन प्राप्त करने के बाद उन्होंने लड़ाकू विमान की ट्रेनिंग ली थी. कपिल सिंह ने करीब 34 वर्षों तक भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर के रूप में कार्य किया.
सबसे मारक पायलटों में से एक
कई बड़ी लड़ाइयों के दौरान विंग कमांडर कपिल सिंह को उनके साहस के लिए याद किया जाता है. उन्होंने 1962 में भारत-चीन युद्ध में भाग लेने के अलावा 1965 व 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी लड़ाई लड़ी थी. 1965 के युद्ध के दौरान पायलट बाबा ने पाकिस्तानी शहरों के ऊपर अपने जीएनएटी (Gnat) विमान से बेहद नीचे उड़ान भरी, जो एक रिकॉर्ड है. पाक सेना को यकीन ही नहीं था कि कोई भारतीय विमान इतने नीचे भी उड़ सकता है. इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान को काफी नुकसान पहुंचाया था. 1971 में भी पायलट बाबा ने पाकिस्तान की नाक में दम कर दिया था. उन्होंने पाकिस्तान में निर्णायक बमबारी भी की थी. उस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान ने हथियार रख दिये थे. भारतीय वायु सेना में अपनी सेवा के दौरान उन्हें सौर्य चक्र समेत कई पदक से सम्मानित किया गया था.
अचानक हुआ वैराग्य, बन गये संत
अपने करियर के मध्य में विंग कमांडर कपिल सिंह अचानक आध्यात्मिक जीवन अपना लिया था. वायु सेना में काम करने के दौरान एक घटना ने कपिल सिंह को पायलट बाबा बना दिया. वो समाधि की अपनी महारत के लिए एक वैश्विक आध्यात्मिक लीडर बन गए. बताया जाता है कि 1974 में वे मिग फाइटर प्लेन से भारत के पूर्वोत्तर में उड़ रहे थे. इस दौरान उनका विमान नियंत्रण खो बैठा. जीवित रहने की सारी उम्मीद खोने के बाद वे अपने गुरु हरि बाबा को याद करना शुरू किया. इसके बाद विमान सुरक्षित रूप से उतर गया. तभी से आध्यात्म की तरफ मुड़ साधना के बाद पायलट बाबा बन गए. हरिद्वार, नैनीताल व उत्तर काशी में भी उनके आश्रम हैं.
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