33.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

लेटेस्ट वीडियो

Operation Sindoor: 1971 के युद्ध में बिहार रेजिमेंट ने दिलाई पहली जीत, पस्त पाक का बदल दिया था नक्शा

Operation Sindoor: बिहार रेजिमेंट भारतीय सेना का एक मजबूत अंग है. इस रेजिमेंट के जवान किसी भी दुर्गम और जटिल परिस्थिती में आसानी से रह लेते हैं. दुश्मन पर धावा बोलने के समय इस रेजिमेंट के जवान ‘जय बजरंगबली’ और ‘बिरसा मुंडा की जय’ का नारा बुलंद करते हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Operation Sindoor: पटना. 1971 के भारत-पाक युद्ध को लड़ने वाली 10वीं बिहार बटालियन, सेना की सबसे नौजवान बटालियन थी. आजादी से महज दो साल पहले इसका गठन हुआ था. बटालियन के नौजवान सैनिकों ने दुश्मन की मांद में घुसकर करारा प्रहार किया और अखौरा पर कब्जा कर भारतीय सेना को पहली जीत दिलायी थी. 1971 के युद्ध में बिहार बटालियन की ताकत तब देखी गयी जब पाकिस्तान के करीब 1 लाख सैनिकों बिहार रेजिमेंट के जांबाजों के सामने घुटने टेक दिये और बांग्लादेश को आजादी मिली. पाकिस्तानी सेना के जवानों ने इन जवानों के आगे आत्‍मसमर्पण कर दिया था. भारतीय सेना के बिहार रेजिमेंट का आज स्थापना दिवस है. 1 नवंबर 1945 से अभी तक का सफर बिहार रेजिमेंट के लिए बेहद गौरव भरा रहा है. पराक्रम के लिए बिहार रेजिमेंट के जवानों को अशोक चक्र, महावीर चक्र समेत कई सम्मान मिल चुका है.

बिहार रेजिमेंट के बहादुरी और वीरता के किस्से

बिहार रेजिमेंट का आज स्थापना दिवस है. 1 नवंबर 1945 को ही आगरा में ले. कर्नल आरसी म्यूरलर ने इस रेजिमेंट की स्थापना की थी. 79 वर्षों से देश की सेवा कर रहे इस रेजिमेंट की बहादुरी और वीरता के किस्से भरे पड़े हैं. भारतीय सेना में इस रेजिमेंट के योद्धाओं के पराक्रम और विजय गाथा की निशानी स्वर्ण अक्षरों में अंकित है. बिहार रेजिमेंट का केंद्र वर्तमान में दानापुर (पटना) में है. स्थापना के समय यह आगरा में बनाया गया था जिसे बाद में गया स्थानांतरित किया गया था. 1949 में गया से इसे दानापुर किया गया. भारतीय सेना के इतिहास में इस रेजिमेंट के पराक्रम की कई कहानियां जुड़ी हुई हैं.

कारगिल जंग में भी दिखा था जलवा

1999 के करगिल जंग में भी बिहार बटालियन के जवानों ने हिस्सा लिया. ”कर्म ही धर्म है” का नारा साथ रखने वाली बिहार बटालियन के जवानों ने ऑपरेशन विजय में पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ाते हुए जुबार हिल व थारू पर कब्जा किया था. विपरीत हालातों में भी जवानों ने अपनी साहस और पराक्रम का लोहा मनवाते हुए पाक सैनिकों को मार गिराया था. मेजर समेत 19 जवानों ने अपनी शहादत देकर तिरंगा लहराया था. सबसे पहली शहादत इसी रेजिमेंट के मेजर मरियप्पन सर्वानन ने दी थी. बेहद बुलंद छाती के साथ उन्होंने लीड लिया था. पटना का कारगिल चौक आज भी अपने जवानों की वीरता को याद दिलाता है.

चीन से लड़ाई में भी दिया था वीरता का परिचय

कुछ महीनों पहले पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में एकबार फिर बिहार रेजिमेंट के जवानों की वीरता सामने आई. चीनी सैनिकों के आगे सीना ताने बिहार रेजिमेंट के जवान निडर होकर डटे रहे लेकिन कदम पीछे नहीं हटाया. ड्रैगन से लड़ते हुए उन्होंने शहादत को स्वीकार किया लेकिन अपने पांव को वापस नहीं लिया. इस हिंसक झड़प में भारतीय सेना ने अपने 20 जवान खो दिये जिसमें अधिकतर बिहार रेजिमेंट के ही थे. जांबाज अफसर कर्नल बी संतोष बाबू भी इसी 16 बिहार रेजिमेंट में ही शामिल थे, जो शहीद हुए.

Also Read: Bihar News: बिहार ने 20 वर्षों में ऊर्जा के क्षेत्र में रचा इतिहास, उत्पादन क्षमता में की 7 गुना वृद्धि

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel