साकिब, पटना : पीएमसीएच की रसोई में पिछले करीब पांच वर्षों से रोटी बननी बंद है. यहां कर्मचारियों की कमी के कारण रोटी नहीं बन पा रही है. लेकिन, पांच वर्ष बीतने के बाद भी जिम्मेदार पदाधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया है. ऐसे में यहां भर्ती मरीजों को सुबह व शाम दोनों समय मजबूरी में चावल ही खाना पड़ता है.
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पीएमसीएच की रसोई में पांच वर्षों से रोटी बननी बंद
साकिब, पटना : पीएमसीएच की रसोई में पिछले करीब पांच वर्षों से रोटी बननी बंद है. यहां कर्मचारियों की कमी के कारण रोटी नहीं बन पा रही है. लेकिन, पांच वर्ष बीतने के बाद भी जिम्मेदार पदाधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया है. ऐसे में यहां भर्ती मरीजों को सुबह व शाम दोनों समय […]
यहां ज्यादातर मरीज गरीब तबके से आते हैं. ऐसे में बहुत कम ही ऐसे होते हैं, जो बाहर से रोटी मंगवा कर खा सके. पीएमसीएच के वार्डों में भर्ती मरीज को अस्पताल की ओर से भोजन व नाश्ता दिया जाता है. सरकार प्रत्येक मरीज पर 100 रुपये रोजाना खर्च करती है.
रसोई में कभी थे 20 कर्मचारी, आज सिर्फ चार
पीएमसीएच की रसोई के प्रमुख व डायटीशियन गिरिंद्र मोहन कुमार बताते हैं कि रोटी नहीं बनने का एक ही कारण है कि हमारे पास कर्मचारियों की कमी है. इस रसोई में 1990 के दशक में करीब 20 कर्मचारी कार्यरत थे. सब रिटायर होते गये और अभी सिर्फ दो स्थायी कर्मचारी हैं जिनमें एक रसोइया और एक हेल्पर है. साथ ही दो अस्थायी महिला कर्मचारियों को अस्पताल की ओर से यहां प्रतिनियुक्त किया गया है.
ये सुबह से शाम तक मुख्य रूप से साफ-सफाई व सब्जी काटने का काम करती हैं. वह कहते हैं कि इतने कम कर्मचारियों के साथ हम रोटी की सुविधा नहीं दे सकते. अगर हमें पांच कर्मचारी और मिले तब रोटी बनने लगेगी.
तबीयत और हो जाती है खराब : कई मरीजों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रात में चावल खाने से उनका स्वास्थ्य और खराब हो जाता है. ऐसे में या तो भूखे रहे या फिर मजबूरी में चावल ही खाएं, यही दो विकल्प उनके पास है. कई ऐसे भी मरीज हैं जिन्हें दोनों वक्त रोटी की जरूरत होती है.
किन कारणों से मरीजों को रोटी नहीं मिल रही है इसकी जानकारी डायटीशियन से लूंगा. मरीजों को सुविधा देने की हम कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में इस कमी को भी जल्द दूर किया जायेगा.
डॉ बीके कारक, अधीक्षक, पीएमसीएच
कुछ ऐसा है यहां का मेन्यू
पीएमसीएच में मुख्य रूप से दो तरह की डायट मरीजों को दी जाती है. पहली नॉर्मल व दूसरी एलएफडी. नॉर्मल में नाश्ते के साथ दो वक्त का खाना दिया जाता है. जानकारी के मुताबिक नाश्ते में 200 ग्राम की एक ब्रेड, दो अंडा, 200 ग्राम के दो दूध के पैकैट, एक सेब व पांच केला दिया जाता है.
खाने में दाल, चावल व सब्जी मिलती है. जिन्हें एलएफडी डायट मिलती है उन्हें 200 ग्राम की दो ब्रेड, दो अंडा, 200 ग्राम दूध के दो पैकेट, पांच केला व दो सेब दिया जाता है. हमें मिली जानकारी के मुताबिक रोजाना औसतन करीब 300 मरीजों को नॉर्मल डायट दी जाती है. जबकि, करीब 700 मरीजों को एलएफडी डायट मिलती है.
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