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पटना : समाजवादी विचारधारा को आगे बढ़ायेगा जदयू
मिथिलेश पटना : जदयू के दूसरी बार अध्यक्ष बनने के साथ ही नीतीश कुमार के कंधों पर उनकी पार्टी ने देश भर में समाजवादी विरासत को बचाये रखने की जिम्मेदारी सौंप दी है. जदयू का मानना है कि बिहार, यूपी और अन्य राज्यों में समाजवाद को परिवारवाद में ढाल दिया गया है. ऐसी स्थिति में […]
मिथिलेश
पटना : जदयू के दूसरी बार अध्यक्ष बनने के साथ ही नीतीश कुमार के कंधों पर उनकी पार्टी ने देश भर में समाजवादी विरासत को बचाये रखने की जिम्मेदारी सौंप दी है. जदयू का मानना है कि बिहार, यूपी और अन्य राज्यों में समाजवाद को परिवारवाद में ढाल दिया गया है. ऐसी स्थिति में उत्तर-पूर्व से लेकर मध्य और दक्षिण के राज्यों में समाजवादी विचारधारा के लोग नीतीश कुमार की ओर ही उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं. इस दूसरे कार्यकाल में पार्टी को राष्ट्रीय दर्जा दिलाने की चुनौती तो उनके ऊपर होगी ही, उससे अधिक समाजवादी अलख जगाये रखना भी उनकी प्राथमिकता में सबसे ऊपर होगा. नीतीश कुमार के दूसरे कार्यकाल के दौरान सबसे पहले झारखंड और दिल्ली विधानसभा का चुनाव होना है.
दोनों ही राज्यों में बिहार में सहयोगी भाजपा सत्ता की प्रबल दावेदार है. ऐसी परिस्थितियों में दोनों गठबधंनों के बीच आपसी रिश्ते की मजबूती के साथ अपने दल को भी आगे ले जाने की जवाबदेही उनके कंधों पर होगी.नीतीश कुमार के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के पहले कार्यकाल में जदयू ने नगालैंड व अरुणाचल प्रदेश जैसे उत्तर- पूर्व राज्यों में अच्छी सफलता पायी है. बिहार में सरकार चला रही है. गुड गवर्नेंस, शराबबंदी व दहेजरहित और बाल विवाह जैसे सामाजिक आंदोलनों की अगुआई करने वाली बिहार सरकार के कामकाज की दूसरे राज्यों में भी चर्चा में है.
पार्टी के प्रधान महासचिव केसी त्यागी कहते हैं, नीतीश कुमार अकेले ऐसे नेता हैं, जिनमें डॉ लोहिया, जयप्रकाश नारायण और कर्पूरी ठाकुर के चेहरे की झलक मिलती है. इनमें न परिवारवाद, न जातिवाद और न ही भ्रष्टाचार का कोई आराेप है. ऐसे में पार्टी पूरी दमखम के साथ आने वाले राज्य विधानसभा चुनावों मेें उतरने वाली है.
राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू का यह कहना कि झारखंड में भाजपा और जेएमएम को लोगों ने परख लिया है. अब वहां विकास का रास्ता जदयू ही निकाल सकता है, के राजनीतिक मायने निकाले जा सकते हैं. पार्टी के नेता कई मौकों पर यह कहते रहे हैं कि भाजपा के साथ उनका समझौता सिर्फ बिहार में ही है. इसलिए बिहार के बाहर जदयू अपना विस्तार करेगा, तो उससे दूसरे दल को क्या परेशानी हो सकती है.
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