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GST : अब महीने में केवल एक बार एकल फॉर्मेट में ही भरना होगा रिटर्न : सुशील मोदी

बेंगलुरू : माल एवं सेवा कर (जीएसटी) रिटर्न दायर करने की नयी प्रणाली के तहत व्यापारियों को कई तरह के प्रारूप के बजाय अब महीने में केवल एक बार एकल फॉर्मेट में ही रिटर्न भरना होगा. बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने शनिवार को यहां इसकी जानकारी दी.सुशील मोदी जीएसटी क्रियान्वयन के बाद राजस्व […]

बेंगलुरू : माल एवं सेवा कर (जीएसटी) रिटर्न दायर करने की नयी प्रणाली के तहत व्यापारियों को कई तरह के प्रारूप के बजाय अब महीने में केवल एक बार एकल फॉर्मेट में ही रिटर्न भरना होगा. बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने शनिवार को यहां इसकी जानकारी दी.सुशील मोदी जीएसटी क्रियान्वयन के बाद राजस्व में आयी कमी पर विचार करने के लिये गठित मंत्रियों के समूह के प्रमुख हैं.

उन्होंने नयी प्रणाली को जीएसटी-2 बताते हुए कहा कि जीएसटी परिषद ने इस नये फार्मेट के तहत रिटर्न भरने को इस साल एक अक्टूबर से शुरू करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि नयी प्रणाली को अमल में लाने की समय सीमा छोटे करदाताओं के लिये एक जनवरी 2020 तथा पांच करोड़ रुपये से अधिक कर देने वाले बड़े करदाताओं के लिये एक अक्टूबर 2019 है. उन्होंने कहा कि नयी प्रणाली के तहत रिटर्न भरने का नमूना सोमवार से उपलब्ध हो जायेगा.

सुशील मोदी ने संवाददाताओं से कहा कि नये फॉर्म सहज और सुगम को व्यापारियों के विभिन्न वर्ग के लिये विकसित किया गया है. उन्होंने कहा कि एक जुलाई को जीएसटी क्रियान्वयन के दो साल पूरे हो जायेंगे. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में मुख्य जोर प्रक्रिया को अधिक सरल बनाने, अनुपालन तथा कर चोरी पर रोक लगाने के तरीकों पर रहेगा.

मोदी ने जीएसटी-2 के बारे में बताया कि जब जीएसटी को डिजायन किया गया, रिटर्न के तीन फॉर्मेट थे तथा एक व्यापारी को महीने में 36 रिटर्न भरने होते थे. इसके अलावा अन्य रिटर्न और ऑडिट रिपोर्ट भी होते थे. नयी प्रणाली में सारी दिक्कतें दूर हो जाएंगी और महीने में सिर्फ एक बार रिटर्न भरना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘बड़े करदाताओं को साल में 12 रिटर्न भरना होगा जबकि छोटे करदाताओं को साल में सिर्फ चार रिटर्न भरने होंगे.’

शनिवार को यहां हुई बैठक जीएसटी की सूचना प्रौद्योगिकी मुहिमों से संबंधित थी. समिति यह देखना चाहती थी कि नयी जीएसटी प्रणाली के क्रियान्वयन का कार्य इंफोसिस ने किस स्तर पर पहुंचाया है. मोदी ने कहा, ‘‘कंपनियों को एक ही स्रोत से रिफंड मिलेगा तथा पूरी तरह से ऑनलाइन रिफंड का क्रियान्वयन सितंबर 2019 तक कर लिया जाएगा. हमने यही समयसीमा तय की है.’ कर चोरी रोकने के बारे में उन्होंने कहा कि इसके लिये ई-वे बिल में नये फीचर जोड़े जाएंगे.

उन्होंने कहा, ‘‘ई-इनवॉयसिंग के जरिये ई-वे बिल तैयार होगा और स्वत: रिटर्न दायर हो जाएगा. यह कर चोरी को रोकने के लिये महत्वपूर्ण जरिया बनेगा.’ उन्होंने कहा कि एक अन्य महत्वपूर्ण कदम वाहनों को रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन दिया जाना है. यह तय स्थानों पर सेंसरों के जरिये सूचनाएं जमा करेगा। यह स्वत: अधिकारियों को बता देगा कि ई-वे बिल निकाला गया है नहीं.

मोदी ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण इन सेंसरों को परिचालित करेगा. उन्होंने फर्जी ई-वे बिल के बारे में कहा कि कंप्यूटरीकृत जीएसटी प्रणाली ने हाल ही में देश में इपनुट टैक्स क्रेडिट को लेकर बड़े स्तर की जा रही धोखाधड़ी को पकड़ा है. उन्होंने कहा कि ऐसी कंपनियां, जो है ही नहीं, फर्जी बिलों के जरिये इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा कर रही थीं. मोदी ने कहा कि 2017-18 में जीएसटी का कुल संग्रह 7.40 लाख करोड़ रुपये रहा. हालांकि, इस दौरान जीएसटी महज नौ महीने ही अमल में रहा. इसके बाद 2018-19 में जीएसटी संग्रह 11.77 लाख करोड़ रुपये रहा. उन्होंने कहा, ‘‘यह जीएसटी के महज दो साल ही है और मैं आपको कह सकता हूं कि संग्रह उत्साहवर्धक रहा है.’

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