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बिहार के पैसे दूसरे राज्यों में बांट रहे बैंक, लगातार गिरता जा रहा है कर्ज बांटने का आंकड़ा, जानें

तमाम कोशिशों के बाद भी राज्य का सीडी रेशियो 43 फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ रहा है पटना : बिहार में काम करने वाले बैंक यहां के लोगों को कर्ज देने में काफी लापरवाह हैं. सूबे के लोगों के जमा किये पैसे से यहां के लोगों को लोन न देकर दूसरे राज्य के लोगों को […]

तमाम कोशिशों के बाद भी राज्य का सीडी रेशियो 43 फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ रहा है
पटना : बिहार में काम करने वाले बैंक यहां के लोगों को कर्ज देने में काफी लापरवाह हैं. सूबे के लोगों के जमा किये पैसे से यहां के लोगों को लोन न देकर दूसरे राज्य के लोगों को लोन दे देते हैं. बिहार के पैसे से दूसरे राज्यों में बैंक जमकर लोन बांट रहे हैं.
तभी तमाम कोशिशों के बाद भी यहां के बैंकों का सीडी रेशियो (साख-जमा अनुपात) 43 फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ पा रहा है. पिछले 10 साल में सीडी रेशियो में महज 10-11 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. वित्तीय वर्ष 2007-08 के दौरान राज्य में यह अनुपात 32 फीसदी था, जो 2018-19 में बढ़कर 42.43 फीसदी ही पहुंच पाया है. बैंक जितने पैसे जनता से जमा लेती है, उसकी तुलना में लोन देने की रफ्तार काफी कम है. चालू वित्तीय वर्ष के दौरान यहां के लोगों के तीन लाख 22 हजार 392 करोड़ सभी बैंकों में जमा हैं. इसके मुकाबले बैंकों में महज एक लाख 30 हजार 199 करोड़ के ही लोन बांटे हैं. अब इन अतिरिक्त जमा पैसों को बैंक दूसरे राज्यों में लोन बांटते हैं.
तभी महाराष्ट्र की सीडी रेशियो 153 प्रतिशत, तमिलनाडु का 120 प्रतिशत के अलावा कर्नाटक, गुजरात समेत अन्य राज्यों में यह अनुपात 100 फीसदी से ज्यादा है. इससे यह स्पष्ट होता है कि दूसरे राज्यों के पैसे को बैंक वाले लोन के रूप में देते हैं. एसएलबीसी (राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी) की बैठक में भी सरकार की तरफ से वित्त मंत्री समेत अन्य अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से उठाते हुए बैंकों को जल्द स्थिति सुधारने की कई बार हिदायत भी दी है. फिर भी स्थिति जस की तस बनी हुई है.
16 जिलों में सीडी रेशियो 40 फीसदी से कम
अगर जिलावार सीडी रेशियो की स्थिति को देखें, तो पायेंगे कि 16 जिलों में सीडी रेशियो 40 फीसदी से कम है. इन जिलों में मौजूद बैंकों की स्थिति लोन देने में कुछ ज्यादा ही खराब है. सबसे खराब सीडी रेशियो वाला जिला सीवान (29.99 प्रतिशत) और सारण (28.60 प्रतिशत) है. इसके अलावा पटना (32.25 प्रतिशत), अरवल (37.34 प्रतिशत), भोजपुर (28.57 प्रतिशत), दरभंगा (32.39), गया (35.03), गोपालगंज (29.11), जहानाबाद (33.80), लखीसराय (36.19), मधुबनी (32.60), मुंगेर (30.73), नालंदा (33.33), नवादा (37.62), सीतामढ़ी (38.91 प्रतिशत) और वैशाली (37.71 प्रतिशत) शामिल हैं.
यह हो रहा इससे नुकसान
बैंकों के स्तर से लोन नहीं देने से उद्योग, व्यवसाय और कृषि सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. लघु उद्योग को इसकी सबसे ज्यादा मार झेलनी पड़ती है. कोई व्यक्ति चाहकर भी छोटे उद्योग-धंधे या अपना कोई छोटा व्यवसाय नहीं शुरू कर पाते हैं. कृषि सेक्टर भी इससे काफी प्रभावित होता है. खेती में नये औजार और इससे जुड़े छोटे प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना नहीं हो पाती है. इसका सीधा असर आर्थिक उन्नति पर पड़ता है.
2015-16 के पहले और बाद में लगातार कम रहा अनुपात
राज्य में वित्तीय वर्ष 2015-16 के दौरान राज्य का सीडी रेशियो सबसे अधिक 44.99 प्रतिशत रहा. इससे पहले 2014-15 में 44.59 प्रतिशत और 12-13-14 में 42.89 प्रतिशत रहा. जबकि, इसके बाद यह अनुपात 2016-17 में 43.94 प्रतिशत, 2017-18 में 43.15 प्रतिशत और 2018-19 में 42.43 प्रतिशत रहा. सिर्फ चालू वित्तीय वर्ष में देखें, तो मौजूद तिमाही की उपलब्धि पिछली तिमाही से 0.33 प्रतिशत कम रही. इसमें गिरावट लगातार बनी हुई है.
इन बैंकों का प्रदर्शन रहा खराब
कुछ बैंक ऐसे हैं, जो लोन बांटने में एकदम उदासीन हैं. इनका सीडी रेशियो 25 प्रतिशत से भी कम है. इसमें साउथ इंडियन बैंक (4.93 प्रतिशत), यश बैंक (18.35 प्रतिशत) और कर्नाटका बैंक (20.15 प्रतिशत) शामिल हैं. इसके अलावा 11 राष्ट्रीयकृत बैंक की उपलब्धि प्रतिशत से कम है.
इसमें पंजाब एंड सिंध बैंक, एसबीआई, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक, आंध्रा बैंक, देना बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, सिंडीकेट बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं.

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