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बिस्मिल्लाह खान पुण्यतिथि आज : जिसकी शहनाई ने विश्व में दिलाई पहचान, वह अपने ही घर में गुमनाम
मनोज कुमार मिश्र डुमरांव : आज ही के दिन 21 अगस्त, 2006 में बनारस हेरिटेज अस्पताल में भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने अंतिम सांस ली थी. खान साहब से जुड़ी चीजें अब भी ईरान के एक आडिटोरियम में मौजूद है. लेकिन उनके देश में उनके ही लोगों ने बेगाना बना दिया. उनके पैतृक नगर डुमरांव […]
मनोज कुमार मिश्र
डुमरांव : आज ही के दिन 21 अगस्त, 2006 में बनारस हेरिटेज अस्पताल में भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने अंतिम सांस ली थी. खान साहब से जुड़ी चीजें अब भी ईरान के एक आडिटोरियम में मौजूद है. लेकिन उनके देश में उनके ही लोगों ने बेगाना बना दिया. उनके पैतृक नगर डुमरांव में यादों के लिए कुछ है, तो बस खंडहरनुमा मकान, लेकिन वह भी वर्ष 2016 में केयरटेकर डुमरांव निवासी सुल्तान मियां के हाथों बिक गयी. खान साहब के छोटे से मकान को देखने कई बार अधिकारी पहुंचे, लेकिन अधिकारियों का यह जायजा एक सरकारी कोरम बन कर रह गयी.
21 मार्च, 2018 को सर्च इंजन गूगल पर उनकी फोटो अपलोड की गयी और उस्ताद की शहनाई को एक बार फिर जीवंत करने की कोशिश की गयी. वहीं रेलवे की ओर से डुमरांव रेलवे स्टेशन टिकट काउंटर के पास दीवार पर खान साहब के चित्र को उकेरा गया. बताया जाता है कि रेलवे की ओर से स्टेशन पर अनाउंसमेंट के समय शहनाई की धुन को बजाने का प्रस्ताव था. लेकिन अभी तक इस पर पहल नहीं हो सकी है. पिछले साल प्रखंड मुख्यालय में जमीन मिलने व आडिटोरियम बनाने के लिए चर्चा जरूर हुई, लेकिन एक साल गुजर गये, इस पर पहल नहीं हो सकी. देखा जाए तो जनप्रतिनिधियों का रवैया भी उदासीन ही रहा.
भारत सरकार की पहल पर 21 मार्च, 2017 को उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के जन्म शताब्दी समापन समारोह का आयोजन वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय डुमरांव के सभागार में आयोजित की गयी, जिसमें चेन्नई से सेषमपती टी शिवलिंगम नागास्वरम, कोलकाता से सुदीप चट्टोपाध्याय, मुंबई से सोमा घोष, वाराणसी से छन्नू लाल मिश्र व बिस्मिल्लाह खान के छोटे पुत्र नैयर खां ने कला का प्रदर्शन किया. इस बाबत छन्नू लाल मिश्र ने कहा था कि हम चाचा बिस्मिल्लाह खान के चलते उनके नगरी में पहुंचे हैं.
शहीद दिवस पर शहीद पार्क के एक कार्यक्रम के दौरान बिहार सरकार के कला संस्कृति मंत्री कृषि कुमार ऋषि ने उनकी पुण्यतिथि को राजकीय समारोह आयोजित करने की बात कही. उन्होंने बताया कि इसके लिए पंद्रह लाख की राशि स्वीकृत हो चुकी है. केयरटेकर सुल्तान मियां कहते हैं कि सरकार अगर पहल करें, तो जमीन देने को तैयार हैं.
10 वर्ष बीतने के बावजूद सरकार की ओर से जमीन लेने को लेकर कोई पहल नहीं की गयी. आज भी उस्ताद सरकार व जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा के शिकार हैं. पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने 22 अप्रैल, 1994 में पुराना थाना शहीद स्मारक के समीप खान साहब के नाम पर टाउन हाल का शिलान्यास किया गया था, लेकिन वर्षों बीत गये, टाउन हाल नहीं बना. अब देखना यह है कि प्रखंड मुख्यालय में इनके नाम पर निर्माण होने वाले आडिटोरियम निर्माण कब तक होता है .
पुण्यतिथि आज : 21 तारीख है खास
-21 तारीख उस्ताद के लिए खास रहा. उनका जन्म 21 मार्च 1916 को ठठेरी बाजार स्थित किराये के मकान में हुआ और 21 अगस्त 2006 को बनारस हेरिटेज अस्पताल में अंतिम सांस ली. खां साहब के अब्बा डुमरांव राज के मुलाजिम थे, जिसके चलते हब्बीबुल्ला खां की गली में जमीन मुहैया करायी.
शहनाई वादक पैगंबर बख्श उर्फ बचई मिया के घर दो बेटे शमसुद्दीन तथा कमरूद्दीन हुए. कमरूद्दीन ही बिस्मिल्लाह के नाम से जाने गये. गरीब तंग उनके अब्बा ने उन्हें मामू अली बख्श के यहां बनारस भेज दिया.
जहां शहनाई वादन की विधिवत शिक्षा उन्हें मिली.
-अनुमंडल प्रशासन ने प्रखंड मुख्यालय परिसर में स्मृति पर ई-किसान भवन के समीप आर्ट गैलरी और आडिटोरियम निर्माण को लेकर बिहार सरकार को डीपीआर तैयार कर भेज दिया है. लेकिन अभी तक धरातल पर कुछ देखने को नहीं मिला.
– निर्वतमान डीएम रमण कुमार ने खां साहब के पैतृक भूमि पर पहुंच जमीन मिलने पर संग्रहालय बनाने की बात कही थी, लेकिन खान साहब के परिजनों ने जमीन को रखवाली करने वाले सुल्तान मियां के हाथों बिक्री कर दी.
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