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अस्पतालों में दवाओं का प्रमोशन नहीं कर सकेंगे एमआर
पटना : दवा कंपनियों के प्रतिनिधि (एमआर) अपने उत्पादों के प्रमोशन के लिए अब सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों व अस्पतालों का चक्कर नहीं लगा सकेंगे. स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में नया संकल्प जारी किया है. एमआर को सहयोग करने वाले डाॅक्टरों व अन्य कर्मियों पर विभाग अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा. सरकार ने यह भी निर्णय लिया […]
पटना : दवा कंपनियों के प्रतिनिधि (एमआर) अपने उत्पादों के प्रमोशन के लिए अब सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों व अस्पतालों का चक्कर नहीं लगा सकेंगे. स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में नया संकल्प जारी किया है. एमआर को सहयोग करने वाले डाॅक्टरों व अन्य कर्मियों पर विभाग अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा.
सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि निर्देश के अनुपालन की नियमित समीक्षा, मूल्यांकन और आवश्यक कार्रवाई के लिए जिला स्तर पर एक कमेटी गठित होगी. राज्य स्वास्थ्य समिति इस दिशा में काम कर रहा है. इसके अलावा सरकार ने वाह्य श्रोत से दवा की पर्ची का ऑडिट कराने का भी निर्णय लिया है.
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार की ओर से 27 जुलाई को जारी संकल्प में कहा गया है कि सरकार के संज्ञान में यह बात आयी है कि स्वास्थ्य संस्थानों व अस्पतालों में मरीजों के इलाज या जांच के समय और ऐसे भी दवा कंपनियों के प्रतिनिधि अस्पताल परिसर के साथ-साथ ओपीडी और आईपीडी में अपनी कंपनी के उत्पाद के प्रमोशन के लिए डाॅक्टरों के पास पैरवी करते रहते हैं. इससे सरकार की उस नीति को नुकसान होता है, जिसमें मरीजों को मुफ्त में दवा उपलब्ध करानी है.
उन्हें जेनेरिक दवा प्रेस्क्राइब करनी है. इलाज के समय इस तरह की गतिविधियों से उपचार के समय का भी नुकसान होता है. संकल्प में इस बात का भी उल्लेख है कि 2007 में ही राज्य स्वास्थ्य समिति ने जेनेरिक दवा प्रेस्क्राइब करने को लेकर निर्देश जारी किया था.
ईडीएल दवा ही डॉक्टरों को करनी होगी प्रेस्क्राइब
राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि सभी सरकारी अस्पतालों में आवश्यक दवा सूची (ईडीएल) में निहित दवाएं ही लिखनी हैं. सरकार की यह भी नीति है कि सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों द्वारा जेनेरिक दवा ही प्रेस्क्राइब की जाये. यदि किसी परिस्थिति में ब्रांडेड दवा लिखनी हो तो संबंधित चिकित्सक दवा की पर्ची में इसके औचित्य को लिखेंगे.
संकल्प में यह भी कहा गया है कि डाॅक्टरों व अस्पताल कर्मियों की ओर से एमआर को प्रोत्साहित किया जाता है. संकल्प में साफ-साफ कहा गया है कि दवा के प्रमोशन के लिए एमआर का अस्पताल में प्रवेश पूरी तरह बंद रहेगा. साथ ही किसी चिकित्सक या कर्मी के पास या उनके कक्ष में एमआर अगर दवा का प्रोमोशन करते पाये जायेंगे तो संबंधित डाॅक्टरों और कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई होगी. अस्पतालों के अधीक्षक, उपाधीक्षक, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी और अस्पताल प्रबंधक की यह जिम्मेदारी होगी कि वह सरकार के निर्देश का पालन सुनिश्चित करायेंगे.
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