पटना : राज्य की केंद्रीय कारा, मंडल कारा, उपकारा एवं मुक्त कारा के अधीक्षक – चिकित्साधिकारी बंदियों के स्वास्थ्य की चिंता नहीं कर रहे हैं. काराधीक्षकों की लापरवाही से राज्य सरकार और कारा प्रशासन की छवि धूमिल हो रही है. पूर्णिया में बंदी की मौत की घटना के बाद विभाग ने कड़ा रुख अपनाया है. महानिरीक्षक कारा एवं सुधार सेवाएं मिथिलेश मिश्र ने राज्य के सभी कारागार अधीक्षकों को पत्र जारी किया है. आईजी जेल ने कारागार अधिकारियों को चेतावनी दी है. जवाबदेही भी निर्धारित की है. बंदी की चिकित्सा जांच में लापरवाही से सरकार की छवि धूमिल हो रही है. कारा पदाधिकारियों को आदेशित किया गया है कि वह बंदियों के स्वास्थ्य संबंधी कार्ड को नियमित रूप से अपडेट रखें. समीक्षा में पाया गया है कि कारागाराें में इस मामले में लापरवाही बरती जा रही है. अब यह लापरवाही अनुशासनहीनता और कर्तव्यहीनता की श्रेणी में आयेगी. इसके आधार पर कठोर कार्रवाई की जायेगी.
नशामुक्ति केंद्र भी भेजे जायेंगे बंदी : आईजी जेल मिथिलेश कुमार मिश्रा ने बंदियों के उपचार को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश दिये हैं. अब प्रत्येक काराधीक्षक शराब बंदी कानून में बंद बंदियों के उपचार पर भी विशेष ध्यान देंगे. आवश्यकता पड़ने पर ऐसे बंदियों को संबंधित जिला के नशामुक्ति केंद्र में भर्ती कराया जायेगा. कारा हस्तक के नियमों की जानकारी देते हुए बताया कि गंभीर रूप से बीमार बंदी के उपचार के लिए उसे पास के किसी अस्पताल में भर्ती कराया जायेगा. कारा अस्पताल भी जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं लेने में देरी नहीं करेंगे.