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राजनीति : अपने वोट बैंक को संभालकर रखने की चिंता, नये समीकरण को भांपने में जुटे मांझी-कुशवाहा

अंजनी कुमार सिंह नयी दिल्ली : बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार के बीच पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की दिल्ली में मौजूदगी को लेकर उनके नाराज होने के कयास लगाये जा रहे हैं. लेकिन मांझी ने कहा कि वे राज्य सरकार में मंत्री बनने के इच्छुक नहीं हैं. इसी तरह से रालोसपा की ओर से भी मंत्रिमंडल […]

अंजनी कुमार सिंह
नयी दिल्ली : बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार के बीच पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की दिल्ली में मौजूदगी को लेकर उनके नाराज होने के कयास लगाये जा रहे हैं. लेकिन मांझी ने कहा कि वे राज्य सरकार में मंत्री बनने के इच्छुक नहीं हैं. इसी तरह से रालोसपा की ओर से भी मंत्रिमंडल विस्तार में किसी को जगह नहीं मिली है. जबकि हम और रालोसपा एनडीए के पार्ट हैं.

बताया जा रहा है कि दोनों दल के नेता जनता का मूड भांपने के बाद ही किसी तरह का फैसला लेंगे. क्योंकि एनडीए में जदयू के आने के बाद बिहार का सारा राजनीतिक समीकरण ही बदल गया है. निकट भविष्य में छोटे दलों के मोल-भाव की क्षमता भी कम हो जायेगी. इससे वाकिफ हिंदुस्तान अवाम मोरचा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा जनता की नब्ज को टटोलने में जुट गये हैं. जनता के मूड को भांपने के बाद ही रालोसपा मंत्रिमंडल में शामिल होने पर किसी तरह का फैसला लेगी. रालोसपा की चिंता अपने वोट बैंक को संभालकर रखने की है जो बदले राजनीतिक समीकरण में कठिन दिख रहा है.

मंत्रिमंडल विस्तार पर मांझी ने कहा कि उन्होंने भी कुछ लोगों के नाम सुझाये थे, लेकिन सदन के सदस्य नहीं होने के कारण उनके नामों को खारिज कर दिया गया, जबकि पशुपति कुमार पारस को मंत्री बनाया गया, जो किसी सदन के सदस्य नहीं हैं. इससे वह नाराज दिखे. मांझी की सबसे बड़ी चिंता उनके वोट बैंक का भाजपा-जदयू में ट्रांसफर हो जाने का खतरा है. इन खतरों से वाकिफ मांझी भाजपा के केंद्रीय नेताओं से मुलाकात कर एनडीए में अपनी पार्टी की संभावना पर भी विचार-विमर्श करेंगे. दूसरी आेर मंत्रिमंडल में रालोसपा का कोई सदस्य शामिल नहीं हुआ है. रालोसपा के विषय में भी तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हैं. रालोसपा के एक पदाधिकारी के मुताबिक आगामी लोकसभा चुनाव में जदयू के साथ लड़ने की स्थिति में रालोसपा को सीटों का नुकसान पहुंच सकता है.

रालोसपा को यह डर सता रहा है कि कहीं उनके वोटर पूरी तरह से भाजपा और जदयू में शिफ्ट न हो जाये, तथा पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़े. रालोसपा की चिंता लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिलने वाली संसदीय सीटों को लेकर भी है. पार्टी को डर है कि उनकी सीटों को कम न कर दिया जाये. इन सारे राजनीतिक हालात और राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए रालोसपा जनता के मूड को भांपकर फैसला लेगी. पार्टी के एक पदाधिकारी के मुताबिक मंत्रिमंडल में अभी जगह खाली है. पार्टी अभी मंथन कर रही है कि उसे करना क्या है. उसके बाद सरकार में शामिल होने पर विचार करेगी. रालोसपा कार्यसमिति की बैठक में इन मुद्दों पर विस्तार से विचार किया जायेगा. गौरतलब है कि रालोसपा और हिंदुस्तानी अवाम मोरचा एनडीए की सहयोगी हैं और इन दलों को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं देने को लेकर नये राजनीतिक समीकरण के कयास लगाये जा रहे हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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