देवेश कुमार
Baba Garib Nath Temple राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुजफ्फरपुर की पहचान जिन धार्मिक स्थान व फल को लेकर है. अब उसका आइकोनिक स्ट्रक्चर शहर की चौक-चौराहें पर दिखेगा. इससे वर्तमान पीढ़ी को अतीत की जानकारी मिल सकेगी. नगर आयुक्त विक्रम विरकर की तरफ से तैयार कराये गये प्रस्ताव की मंजूरी बुधवार को नगर निगम के सशक्त स्थायी समिति से मिल गयी है. शुरुआत मोतीझील ब्रिज के ऊपर और लक्ष्मी चौक से होगी.
मोतीझील ब्रिज के ऊपर तिमुहानी के समीप खाली जगह में ‘बरगद के पेड़’ और लक्ष्मी चौक पर ‘लीची’ का आइकोनिक स्ट्रक्चर बनेगा. बरगद का जो पेड़ होगा. वह बाबा गरीबनाथ मंदिर के स्थापना के बारे में बतायेगा. कब और कैसे बाबा गरीबनाथ बरगद के पेड़ की कटाई के दौरान अचानक खून बहने के दौरान प्रकट हुए थे. वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुजफ्फरपुर की पहचान दिलाने वाला फल लीची का होगा.
आइकोनिक स्ट्रक्चर निगम में बेकार पड़े लोहे के कबाड़ से बनेगा. बाकी, अन्य चौक-चौराहे को भी चिह्नित करने को कहा गया है, जहां आइकोनिक स्ट्रक्चर लगाया जा सके. स्थायी समिति से मिली मंजूरी के बाद अब इस प्रस्ताव को निगम बोर्ड के समक्ष भी रखा जायेगा.
क्या है बाबा गरीबनाथ मंदिर का इतिहास
बाबा गरीबनाथ मंदिर का इतिहास सौ साल से भी पुराना है. यहां एक बरगद का पेड़ था. कहा जाता है कि पेड़ की कटाई के दौरान बाबा स्वयं प्रकट हुए थे, जिसके बाद से यहां उनकी पूजा शुरू हो गई. धीरे-धीरे मंदिर का जीर्णोद्धार होता गया और आज लाखों लोग यहां आते हैं.
कहा जाता है कि एक बार मंदिर में एक व्यक्ति जो बाबा भोलेनाथ का बहुत बड़ा भक्त था. वह सोया हुआ था. उसने बेटी की शादी तय कर दी थी, लेकिन खर्चों को नहीं जुटा पाने की वजह से वह परेशान था. जब वह सोया था तो उसके सपने में भगवान शिव आए और उन्होंने कहा कि जाओ तुम्हारी बेटी की शादी हो जाएगी. इसके बाद वह व्यक्ति जब अपने घर पहुंचा तो उसने देखा कि उसके घर में बेटी की शादी से जुड़े सभी सामान आ चुके हैं.
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