शिव ही जीवन दाता है, और शिव ही अलंकार है फोटो – मधेपुरा 31कैप्शन – चर्चा में उपस्थित शिव भक्त प्रतिनिधि मधेपुरा. शिव गुरू परिचर्चा का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में कोशी प्रक्षेत्र के विभिन्न जिलों के शिव शिष्यों ने भाग लिया. मुख्य वक्ता शिव शिष्य परमेश्वरजी ने कहा कि बाबा शिव के गुरूपद को पूर्व में हमारे समाज में स्थापित नहीं किया गया. नो सितंबर 1982 इ से इस कालखंड के प्रथम शिव शिष्य साहब श्री हरीनंदनजी ने कहना प्रारंभ किया कि शिव गुरू है, शिव को ही गुरू बनाएं. इस पर वक्ताओं के द्वारा विस्तृत रूप से चर्चा की गयी. वक्ताओं ने कहा शिव ही जीवन दाता है, और शिव ही अलंकार है. इसलिए शिव को गुरू बनाने से मनुष्य को आध्यात्मिक एवं मानवता का ज्ञान होता है. शिव की सुमरण करने से मनुष्य को हरेक कठिनाइयों से निजात मिलता है. शिव आदि है, शिव ही अंत है. शिव स्वरूप में जगत विद्यमान हैं. संहार शिव हैं और सृजन भी शिव हैं. शिव के बिना इस चराचर जगत में सांस लेना भी दुर्लभ है.परिचर्चा में शिव को ही गुरू के रूप में अपनाने पर बल दिया. मौके पर बहन पायल, घुघरू, उमेश, चंदन, अरविंद ने गुरू भजन गा कर माहौल को भक्तिमय बना दिया. कार्यक्रम को सफल बनाने में अरविंद कुमार, राजेश कुमार, संजय कुमार, अशोक कुमार,दिलीप कुमार, पप्पू कुमार आदि शामिल है.
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शिव ही जीवन दाता है, और शिव ही अलंकार है
शिव ही जीवन दाता है, और शिव ही अलंकार है फोटो – मधेपुरा 31कैप्शन – चर्चा में उपस्थित शिव भक्त प्रतिनिधि मधेपुरा. शिव गुरू परिचर्चा का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में कोशी प्रक्षेत्र के विभिन्न जिलों के शिव शिष्यों ने भाग लिया. मुख्य वक्ता शिव शिष्य परमेश्वरजी ने कहा कि बाबा शिव के गुरूपद […]
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