मधेपुरा: वर्षो प्रतीक्षा के बाद आमान परिवर्तन का कार्य पूरा हुआ. साथ ही स्टेशन का विस्तार किया गया. नये भवनों का निर्माण हुआ. पूरे स्टेशन का सौंर्दयीकरण किया गया. स्टेशन परिसर में यात्रियों की मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखा गया.
स्टेशन परिसर का तो कायाकल्प हो गया. फिर भी यात्रियों की मुश्किलें कम नहीं हुई और स्टेशन पर कई ऐसी बड़ी समस्या रह गयी, जिससे आये दिन यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
प्लेटफॉर्म की ऊंचाई काफी कम होना
आमान परिवर्तन होते ही बड़ी लाइन के गाड़ियों का परिचालन शुरू हुआ. जहां बड़ी लाइन के गाड़ियों के लिए प्लेटफॉर्म का ऊंचा होना चाहिए वहीं मधेपुरा स्टेशन का प्लेटफॉर्म काफी नीचे है. सही मायने में देखा जाये तो प्लेटफॉर्म और पटरी के लेवल में कोई अंतर नहीं है, जिस कारण जहां प्लेटफॉर्म पर ट्रेन रुकती है तो यात्रियों को उतरने एवं चढ़ने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है. खास कर महिलाओं, बूढ़े व बच्चों को ट्रेन से प्लेटफॉर्म से उतरने एवं चढ़ने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. कई बार तो ऐसा देखा कि कई यात्री उतरने एवं चढ़ने के क्रम में नीचे गिर चुके है. लेकिन इस ओर शायद रेलवे प्रशासन की नजर नहीं पड़ी है.
शुद्ध पेयजल के लिए जूझते हैं यात्री
स्टेशन परिसर में दोनों प्लेटफॉर्म पर पानी के लिए नल की व्यवस्था है. चार चापाकल लगे हैं. पानी के लिए बड़े-बड़े दो टैंक भी है, जिससे नलों को पानी सप्लाई होता है. लेकिन पानी का एक ही टैंक सही काम कर रहा है, जबकि दूसरा बेकार पड़ा है. चापाकल में तीन सही है और एक खराब पड़ा है.
टिकट काउंटर होने के बावजूद भी यात्री परेशान
स्टेशन परिसर में तीन टिकट काउंटर है लेकिन मात्र दो काउंटर ही कार्य रूप में है जिस कारण गाड़ी आने के समय दोनों काउंटर पर यात्रियों की भीड़ लगी रहती है. स्टाफ की कमी के कारण दो काउंटर पर ही कार्य होता है. तीसरा काउंटर हमेशा बंद पड़ा रहता है.
आरक्षण बुकिंग में होती है असुविधा
स्टेशन परिसर पर लंबी दूरी के ट्रेन में सफर करने के लिए आरक्षण बुकिंग काउंटर की सुविधा है. लेकिन यहां पर एक ही काउंटर है और एक ही शिफ्ट में आरक्षण होता है.
पानी साफ करने वाला संयंत्र है बेकार
पानी साफ करने के लिए स्टेशन परिसर में संयंत्र भी लगाया गया, जिससे यात्रियों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराया जा सके. लेकिन पानी साफ करने वाला संयंत्र सिर्फ स्टेशन की शोभा बढ़ा रहा. लगभग ढाई साल से चालू नहीं है बेकार पड़ा हुआ है, जिस कारण यात्री पीला पानी पीने को मजबूर है.
पावर हाउस का भवन कार्य रूप में नहीं
पावर हाउस का भवन वर्षो से बन कर तैयार पड़ा हुआ है. लाखों रुपये की लागत से निर्मित यह भवन अभी तक कार्य रूप में नहीं आया है. जरूरी समान नहीं आने के कारण बेकार पड़ा हुआ है.
दो सफाईकर्मी के भरोसे स्टेशन परिसर
दो सफाई कर्मी के ऊपर ही दो प्लेटफॉर्म के साथ-साथ पूरे स्टेशन परिसर की सफाई निर्भर है, जिस कारण स्टेशन परिसर में साफ सफाई का भी अभाव देखा जा रहा है. यूरीनल में हमेशा गंदगी बनी रहती है. रेल पटरियों के बीच में भी कूड़ा आदि जमा रहता है. दो सफाई कर्मी के कारण हमेशा सफाई को लेकर दबाव बना रहता है. कुल मिला कर स्थिति यह है कि स्टेशन का कायाकल्प होने के बावजूद स्टेशन पर यात्रियों की मुल भूत सुविधाओं का अभाव है, जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है. आमान परिवर्तन के बाद भी यदि सही मायने में गौर किया जाये, तो यहां जिले वासियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसका ससमय रेलवे प्रशासन द्वारा ध्यान देना उचित प्रतीत हो रहा है.