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अस्पताल में चिकित्सकों का टोटा, मरीज परेशान

खगड़िया : स्वास्थ्य व्यवस्था के नाम पर सरकार द्वारा प्रतिवर्ष भले ही करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं. लेकिन मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. इलाज के नाम पर जिले के सदर अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल गोगरी व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर खानापूर्ति की जा रही है. […]

खगड़िया : स्वास्थ्य व्यवस्था के नाम पर सरकार द्वारा प्रतिवर्ष भले ही करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं. लेकिन मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. इलाज के नाम पर जिले के सदर अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल गोगरी व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर खानापूर्ति की जा रही है.

सदर अस्पताल तथा अनुमंडल अस्पताल में चिकित्सक का अभाव है. लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक पदस्थापित है. सदर अस्पताल में सजर्न तथा महिला चिकित्सक का अभाव है. इलाज के नाम पर अधिकांश मरीज को रेफर किये जाने की परंपरा सदर अस्पताल में बनी हुई है.

मरीज को जाना पड़ता है बाहर: जिले के सदर अस्पताल व अनुमंडल अस्पताल में एक भी सिजिरीयन ऑपरेशन नहीं होता है. इतना ही नहीं हाइड्रोसिल, हिरनिया, ऑपेनडीक्स तथा भेस्कोटॉमी जैसा मामूली ऑपरेशन भी अस्पताल में नहीं हो रहा है. सिर्फ बंध्याकरण ऑपरेशन के लिए अस्पताल में भीड़ लगी रहती है.

उपकरण का भी है अभाव: सदर अस्पताल व अनुमंडल अस्पताल तक में चिकित्सीय उपकरण का अभाव रहता है. जिसके कारण मरीजों को समुचित इलाज नहीं किया जाता है. पूर्व में लाखों रुपये मूल्य से खरीदे गये डेंटल चेयर बेकार पड़ा हुआ है.

गुणवत्ता विहीन डेंटल चेयर रहने के कारण मरीजों को उसका लाभ नहीं मिल रहा है. इतना ही नहीं नेत्र विभाग, डेंटल विभाग, अस्थि विभाग में समुचित चिकित्सीय उपकरण उपलब्ध नहीं हैं.

नि:शक्त व वृद्धों के लिए की गयी ओपीडी की व्यवस्था: राज्य सरकार से निर्देश मिलते ही सदर अस्पताल व अनुमंडल अस्पताल में नि: शक्त व वृद्ध मरीजों के लिए ओपीडी की व्यवस्था की गयी है. जिससे मरीजों को माफी सुविधाएं भी मिली है.

दवा का अभाव: जिले के सभी अस्पतालों में दवा का अभाव रहता है. ओपीडी में 33 दवा के बदले मात्र 20 से 22 दवा ही उपलब्ध रहती है. इनडोर में 127 के बदले मात्र 70 से 75 दवा उपलब्ध रहती है. जिसमें से अधिकांश दवा का उपयोग साल में यदा कदा ही होता है. लेकिन नियमित उपयोग होनी वाली दवा का अभाव देखा जा रहा है.

कहते हैं सीएस

सिविल सजर्न डॉ विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि चिकित्सक की कमी है. विभाग को कई बार पत्र लिखा गया है. हालांकि संविदा पर बहाल चिकित्सकों से काम लिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि अधिकांश दवा उपलब्ध है. इनडेंट मिलने पर दवा मंगायी जाती है.

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