गोपालगंज. नेपाल में होने वाली बारिश से पवित्र नारायणी नदी की चाल निर्धारित होती है. नारायणी नदी का मिजाज कब बिगड़ जाये और फिर तबाही शुरू हो जाये, यह कोई नहीं बता सकता. जल संसाधन विभाग के एक्सपर्ट भी इस नदी के मिजाज को नहीं समझ पाते. नदी की बाढ़ से जिले को बचाने के लिए जल संसाधन विभाग की ओर से दो प्रोजेक्ट पर 13.2 करोड़ के खर्च से कार्य शुरू कराया गया है.
15 मई तक काम पूरा करने का लक्ष्य
बांध को बचाने के लिए 15 मई तक पूरा करने के लक्ष्य को लेकर कार्यपालक अभियंता प्रमोद कुमार इंजीनियरों की टीम को लेकर कैंप कर बचाव कार्य करा रहे हैं. वर्ष 2024 में गंडक नदी में पानी का डिस्चार्ज 4.40 लाख क्यूसेक तक पहुंचने के बाद भी तटबंध पर कोई असर नहीं पड़ा. बांध पूरी तरह से मजबूत है. टंडसपुर-सलेहपुर तटबंध पर 09.80 किमी से 10.30 किमी के बीच सात करोड़ की राशि से स्लोप बनाकर पिचिंग करने का काम चल रहा है, जिससे बांध पूरी तरह से प्रोटेक्ट हो सके. उसी प्रकार डुमरिया में जीओ ट्यूब से 17 स्टर्ड को बनाया जा रहा है. 25-25 मीटर का यह जीओ ट्यूब डालकर नदी के वेग को रोकने का काम चल रहा है. इन दोनों प्रोजेक्ट की मॉनीटरिंग खुद कार्यपालक अभियंता प्रमोद कुमार कर रहे हैं. विभाग की ओर से भी गठित एक्सपर्ट की टीम जिले के एक-एक तटबंध की गंभीरता से जांच करने के बाद इन दोनों प्रोजेक्ट को पूरा करने का आदेश दिया था.
नारायणी के कटाव से इतिहास बन गये ये गांव
गंडक नदी कटाव को लेकर विख्यात है. कटाव के कारण नदी जिले के 69 गांवों को जिले के नक्शा से मिटा कर अपने आगोश में ले चुकी है. सदर प्रखंड के कटघरवा, मकसूदपुर, खाप, मेहंदिया, भोजली, रजवाही, धर्मपुर, निरंजना, कुचायकोट प्रखंड के विशंभरपुर, भसही, कालामटिहानी वार्ड नं एक, वार्ड नं तीन, हजाम टोली, अहीर टोली, टांड पर, बरौली प्रखंड के सिमरिया, रूप छाप, मोहदीपुर, पकडियां समेत 69 गांव उजड़ चुके हैं.गंडक नदी के महत्व को जरा समझें
हिमालय पर्वत शृंखला के धौलागिरि पर्वत के मुक्तिधाम से निकली गंडक नदी गंगा की सप्तधारा में से एक है. नदी तिब्बत व नेपाल से निकलकर यूपी के महाराजगंज, कुशीनगर होती हुई बिहार के गोपालगंज, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, सारण होकर सोनपुर के पास गंगा नदी में मिल जाती है. इस नदी को बड़ी गंडक, गंडकी, शालिग्रामी, नारायणी आदि नामों से जाना जाता है. नदी के 1310 किलोमीटर लंबे सफर में तमाम धार्मिक स्थल हैं. इसी नदी में महाभारत काल में गज और ग्राह (हाथी और घड़ियाल ) का युद्ध हुआ था. इसमें गज की गुहार पर भगवान कृष्ण ने पहुंचकर उसकी जान बचायी थी. जरासंध वध के बाद पांडवों ने इसी पवित्र नदी में स्नान किया था. इस नदी में स्नान व ठाकुर जी की पूजा से सांसारिक आवागमन से मुक्ति मिल जाती है.नारायणी नदी की बाढ़ से मिलेगी स्थायी मुक्ति : विभाग
जलसंसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता प्रमोद कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा के दौरान जिले के सभी गाइड बांध को पिचिंग कराने की मंजूरी मिल चुकी है. जल्दी ही इसकी टेंडर प्रक्रिया को पूरा कराया जायेगा. वहां पिच सड़क बनने से जल्दी ही बाढ़ से भी स्थायी समाधान मिलने के आसार हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है