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कलेक्ट्रेट में ही बायोमीटरिक सस्टिम फेल

कलेक्ट्रेट में ही बायोमीटरिक सिस्टम फेललापरवाही. सरकार के आदेश की अनदेखी कर मनमाने ढंग से लग रही हाजिरीअफसरों को भी नहीं है बायोमीटरिक सिस्टम लगे होने की जानकारी चार साल पहले तत्कालीन डीएम बाला मुरुगनडी ने लगवाया था बायोमीटरिक सिस्टमबाबुओं ने बायोमीटरिक सिस्टम में किया खेल, तो हुआ फेलस्कूलों में बायोमीटरिक सिस्टम के सफल होने […]

कलेक्ट्रेट में ही बायोमीटरिक सिस्टम फेललापरवाही. सरकार के आदेश की अनदेखी कर मनमाने ढंग से लग रही हाजिरीअफसरों को भी नहीं है बायोमीटरिक सिस्टम लगे होने की जानकारी चार साल पहले तत्कालीन डीएम बाला मुरुगनडी ने लगवाया था बायोमीटरिक सिस्टमबाबुओं ने बायोमीटरिक सिस्टम में किया खेल, तो हुआ फेलस्कूलों में बायोमीटरिक सिस्टम के सफल होने पर उठा सवालफोटो- 16संवाददाता, गोपालगंजसरकार के दूसरे विभागाें व कार्यालयों की कौन कहे, यहां तो कलेक्ट्रेट में ही शासन-प्रशासन कायदे-कानून की अनदेखी करने में जुटा है. लापरवाही का आलम यह कि सरकार के आदेश की सरासर अनदेखी कर समाहरणालय में मनमाने ढंग से कर्मियों की हाजिरी लग रही है. यहां का बायोमीटरिक सिस्टम कब का फेल हो चुका है, पर इसकी सुधि लेने में अफसरों की कोई दिलचस्पी नहीं है. समाहरणालय व सदर अस्पताल में लगाये गये बायोमीटरिक सिस्टम फेल रहने पर स्कूलों में यह उपस्थिति मानक मशीन कितनी कारगर होगी. इस पर सीधा सवाल उठ रहा है. वर्ष 2011 में सरकार के प्रधान सचिव दीपक कुमार के आदेश पर तत्कालीन डीएम बाला मुरुगन डी ने समाहरणालय में बाबुओं की मनमानी को रोकने के लिए बायोमीटरिक सिस्टम से उपस्थिति दर्ज कराने की बकायदा व्यवस्था की. बायोमीटरिक सिस्टम से कर्मियों ने बमुश्किल दो-तीन माह उपस्थिति दर्ज करायी. बाद में रोज-रोज की झंझट से मुक्ति के लिए बाबुओं ने खेल कर इसे हमेशा के लिए फेल कर दिया. तब से चार वर्ष बीतने के बाद भी समाहरणालय में यह मशीन न बनायी जा सकी, न ही नयी लगायी जा सकी. यहां के अधिकतर अधिकारियों को बायोमीटरिक सिस्टम लगे होने की जानकारी तक नहीं है. स्थापना के प्रभारी उपसमाहर्ता ने यहां कभी बायोमीटरिक सिस्टम लगे रहने से साफ इनकार किया. सदर अस्पताल में 15 दिन में सिस्टम खराब :डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर लगाम कसने के लिए डीएम की पहल पर सदर अस्पताल में बायोमीटरिक सिस्टम से उपस्थिति दर्ज करना आरंभ हुआ. 15 दिनों में मशीन खराब हो गया. कंपलेन हुआ दोबारा बना. लेकिन फिर पांच दिन के बाद खराब हो गया, तो आज तक उसे नहीं बनाया गया. बायोमीटरिक सिस्टम फेल होते ही यहां फिर से सब कुछ पुराने ढर्रे पर आ गया. बोर्ड पर नहीं दर्ज होता बाबू का नामसमाहरणालय में तत्कालीन डीएम बाला मुरुगनडी ने लाखों रुपये खर्च कर फ्लैश बोर्ड तथा मार्कर उपलब्ध कराया था. स्पष्ट आदेश था कि सबसे पहले और बाद में आॅफिस आने वाले बाबू का नाम और हस्ताक्षर समय के साथ दर्ज होगा. जवाबदेह कर्मी को प्रशस्ति पत्र और लापरवाह बाबू पर कार्रवाई का उद्देश्य डीएम के जाते ही कूड़ेदान में दफन हो गया. क्या कहते हैं अधिकारी” समाहरणालय में अब तक कभी बायोमीटरिक सिस्टम नहीं लगा है. सरकार के आदेश पर यहां बायोमीटरिक सिस्टम लगायी जाती है, तो सही तरीके से सभी कर्मी और पदाधिकारी अपनी उपस्थिति दर्ज करायेंगे.कृष्ण मोहन प्रसाद, स्थापना उप समाहर्ता, गोपालगंज

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