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पहले 70, अब सिर्फ 35 लाख रुपये का रेवेन्यू

दस्तावेज नवीसों के लाइसेंस रद्द किये जाने व मॉडल फॉर्म लाये जाने के बाद जिला निबंधन कार्यालय के राजस्व में भारी गिरावट आयी है. विभाग काे पहले जहां जमीन रजिस्ट्री से हर रोज 70 लाख रुपये का राजस्व मिलता था, यह अब 35 लाख रुपये पर सिमट गया है. गया: राज्य सरकार की तरफ से […]

दस्तावेज नवीसों के लाइसेंस रद्द किये जाने व मॉडल फॉर्म लाये जाने के बाद जिला निबंधन कार्यालय के राजस्व में भारी गिरावट आयी है. विभाग काे पहले जहां जमीन रजिस्ट्री से हर रोज 70 लाख रुपये का राजस्व मिलता था, यह अब 35 लाख रुपये पर सिमट गया है.
गया: राज्य सरकार की तरफ से दस्तावेज नवीसों के लाइसेंस रद्द किये जाने के बाद जिला निबंधन कार्यालय के राजस्व आमद में भारी कमी आयी है. एक अप्रैल से हर रोज 34 से 40 लाख का घाटा विभाग को जिले से उठाना पड़ रहा है. अब तक विभाग को 9.45 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व घाटा उठाना पड़ा है. लोग रजिस्ट्री कराने जिला निबंधन कार्यालय तो पहुंच रहे हैं, लेकिन मॉडल फार्म देख कर ही आधे से अधिक लोग भड़क जा रहे हैं. इधर, टिकारी, शेरघाटी व नीमचक बथानी अनुमंडल स्थित निबंधन कार्यालयों का भी यही हाल है.
दस्तावेज नवीसों के लाइसेंस रद्द होने के बाद निबंधन कार्यालयों में आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दस्तावेज नवीस संघ के नेताओं का आरोप है कि कार्यालय में रिटायर्ड कर्मचारी व जमीन ब्रोकर का राज कायम हो गया है.
स्टांप बेचनेवाले भी जमीन रजिस्ट्री में अधिक दिलचस्पी दिखाने लगे हैं. सूत्रों की मानें, तो इनलोगों द्वारा एक जमीन की रजिस्ट्री में पांच से 10 हजार रुपये का नजराना जमीन खरीदनेवाले से लिया जाता था.
हालांकि, अधिकारी हर वक्त कहते रहे हैं कि मॉडल फॉर्म आने से जमीन रजिस्ट्री का काम और आसान हो गया है.
आधा हुआ विभाग का राजस्व
जमीन रजिस्ट्री के लिए मॉडल फॉर्म लाने के बाद एक अप्रैल से विभाग का राजस्व आमद आधा हो गया है. हर दिन विभाग को 35 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है. लोगों को मॉडल फॉर्म के जरिये की जा रहा रजिस्ट्री पर विश्वास नहीं हो रहा है. पहले की अपेक्षा काफी कम लोग रजिस्ट्री के लिए निबंधन कार्यालय पहुंच रहे हैं. जमीन रजिस्ट्री में लोगों की सहायता करने का आदेश कर्मचारियों को आदेश दिया गया है. दस्तावेज नवीस के हटने के बाद कर्मचारियों का काम बढ़ गया है. पहले तैयार कागजात रजिस्ट्री के लिए पेश किये जाते थे, परंतु अब हर स्तर पर उसकी जांच करनी पड़ती है.
सुकुमार झा, जिला निबंधन पदाधिकारी, गया

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