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कहीं बर्फ की ठंडई कर न दे बीमार
गया : गरमी काफी तेज है. शहर के हर चौक-चौराहे या मुहल्लों में बर्फ बेचनेवाला एक न एक ठेला मिल ही जायेगा. सभी जानते हैं कि इस बर्फ का उपयोग हानिकारक है, फिर भी इसके इस्तेमाल में पीछे नहीं हटते. ठंडई के लिए उपयोग में लगाये जानेवाले बर्फ को बनाने में स्वास्थ्य मानकों का विशेष […]
गया : गरमी काफी तेज है. शहर के हर चौक-चौराहे या मुहल्लों में बर्फ बेचनेवाला एक न एक ठेला मिल ही जायेगा. सभी जानते हैं कि इस बर्फ का उपयोग हानिकारक है, फिर भी इसके इस्तेमाल में पीछे नहीं हटते. ठंडई के लिए उपयोग में लगाये जानेवाले बर्फ को बनाने में स्वास्थ्य मानकों का विशेष ध्यान रखना होता है. गंदे पानी से बननेवाले बर्फ से लोगों में पेट की बीमारी का खतरा बना रहता है. अधिकतर फैक्टरियों में तैयार बर्फ का इस्तेमाल मांस, मछली, शव व खाद्य सामग्री को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है.
इसी बर्फ का इस्तेमाल गन्ना जूस, लस्सी, बेल शरबत, आम जूस व अन्य कई कोल्ड ड्रिंक्स के लिए किया जा रहा है. सड़क किनारे शरबत बेचनेवाले बर्फ के साथ-साथ पानी को मीठा बनाने के लिए कुछ रसायनों का इस्तेमाल करते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए ज्यादा हानिकारक है. इनके सेवन से बच्चों में चेचक होने की ज्यादा आशंका होती है.
घटा है कारोबार : फिलहाल, बर्फ की मांग में भारी गिरावट आयी है. इसका मुख्य कारण है तकनीक. अब लोग अपने घरों में ही फ्रिज का उपयोग कर बर्फ से जुड़े सामान तैयार कर रहे हैं. इसका असर इस कारोबार पर बहुत ज्यादा पड़ा है. शहर की कई बर्फ फैक्टरियां बंद हो गयी हैं. कुछ फैक्टरियां हैं, उनकी भी हालत खस्ता है. किरानी घाट स्थित बर्फ फैक्टरी के प्रबंधक दीनानाथ वर्मा का कहना है कि पानी बाेरिंग से लिया जाता है, जिसकी गहराई 400 फुट नीचे है. बर्फ बनाने में स्वच्छ पानी का उपयाेग किया जाता है.
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