संस्थान की ओर पद्मश्री सीपी ठाकुर का माला पहना कर किया गया अभिनंदन.
Advertisement
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने किया उद्घाटन
संस्थान की ओर पद्मश्री सीपी ठाकुर का माला पहना कर किया गया अभिनंदन. साम-चक, साम-चक अबिह हे, अबिह हे त्योहार बहनों ने भींगी पलकों से भगवती सामा को दी विदाई कमतौल में सामा को विदा करती बहनों की टोली. दरभंगा/कमतौल : मिथिलांचल के लोक पर्व में aशुमार धूमधाम से मनाया जाने वाला भाई-बहन का पर्व […]
साम-चक, साम-चक अबिह हे, अबिह हे
त्योहार बहनों ने भींगी पलकों से भगवती सामा को दी विदाई
कमतौल में सामा को विदा करती बहनों की टोली.
दरभंगा/कमतौल : मिथिलांचल के लोक पर्व में aशुमार धूमधाम से मनाया जाने वाला भाई-बहन का पर्व सामा-चकेवा का समापन सोमवार देर शाम हो गया. अश्रुपूरित नेत्रों से बहनों ने अगले वर्ष फिर आने का न्योता देकर आसपास के जुते हुए खेत, नदी या तालाब में सामा-चकेवा की मूर्ति को विसर्जित कर दिया. इसी के साथ कार्तिक शुक्ल सप्तमी यानि छठ के पारण से आठ दिनों तक चलने वाले भाई-बहन के अटूट प्रेम और सांस्कृतिक लोक परंपरा का पर्व सामा-चकेवा का समापन हो गया.
भाई की लंबी उम्र और सुख समृद्धि की कामना को ले मनाये जाने वाले पर्व का समापन सोमवार को होगा, सामा-चकेवा की विदाई होगी इससे पहले ही घर-आंगन का माहौल गमगीन होने लगा था. बहनों के खिले चेहरे उदास नजर आने लगे थे. विसर्जन को जाते समय गाये जाने वाले समदाउनिक गीत से सबकी आंखें नम हो गयी. ‘कौने निर्मोहिया रामा न्योता पठौलक, कौने निर्मोहिया लेने जाय’, ‘बड़ा रे जतन से हम सामा दाई के पोसलौं, आई सामा सासुर जाई’ शुरू होते ही वातावरण गमगीन होने लगा.
‘कौने रंग डोलिया हे कौने रंग कहरिया, कौने निर्मोहिया लेले जाय’ से माहौल और भी गमगीन हो गया. ‘लाले रंग डोलिया सबुज रंग कहरिया, लागि गेल बत्तीसों कहार’ जैसे समदाउन गीत के बोल सुनने वालों के आंखों को नम कर दिया. ‘कातिक मासे अइली सामा, अगहन मासे जायब, हे मनमोहनी सामा’ के बाद सामा-चकेवा की मूर्ति का विसर्जन किया गया.
इससे पूर्व भगवती घर में गोसाउनिक गीत गाते हुए बहनों ने सामा-चकेवा को चूड़ा-दही खिलाया. भाई के फांड़ में चूड़ा, गुड़ व मिठाई देकर सामा फोड़वाया. फिर बेटी की विदाई की तरह सामा-चकेवा व अन्य प्रतिमाओं को कपड़ा से सज्जित कर टोली में समदाओन गीत गाती, आसपास के जुते हुए खेत या नदी-तालाब के किनारे पहुंची. जहां विदाई परक गीतों का गायन कर मूर्ति को विसर्जित किया गया.
तारडीह: मिथिलांचल का लोक पर्व सामा चकेवा का त्योहार सोमवार को संपन्न हो गया. सुबह से ही सामा के कैसेट वाले गीतों से गांव-घर गूंजयमान होता रहा. बहनें रात में सामा खेलने के लिए घर पर ही सामा के साथ विभिन्न तरह के उसके साथी बनाने में मशगूल दिखी. चुगला तथा वृंदावन, झांझी कुत्ता आदि बनाती रहीं. इसमें पौती, पेटार, सतभैंया आदि तैयार किया.
व्यवसायी बंधु अपहरण कांड का मास्टर माइंड रंजीत गिरफ्तार
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement