आरा : भोजपुर के दो लाल ने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल कर जिले का नाम रोशन किया है. दोनों की सफलता से जिला गर्व महसूस कर रहा है और जगह-जगह दोनों की सफलता की चर्चाएं हो रही है. जिले के तरारी प्रखंड के मोआपकला गांव के स्वर्ण प्रभात को जहां 105वां रैंक हासिल किया है
वहीं बड़हरा प्रखंड के सबलपुर गांव के रहने वाले नितेश पांडेय ने यूपीएससी की परीक्षा में 141वां रैंक हासिल किया है. मोआप कला के कौशलेश कुमार सिन्हा और ललिता देवी के पुत्र स्वर्ण प्रभात है. वहीं नितेश पांडेय सबलपुर के सीनियर आइएस श्रीमत पांडेय व डॉ करुणा पांडेय के पुत्र हैं. दोनों ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है.
सबसे बड़ी बात यह है कि जिले से यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले दोनों प्रतिभागी आइआइटीयन हैं. स्वर्ण प्रभात ने आइआइटी खड़गपुर से कंप्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग किया है तो नितेश पांडेय ने आइआइटी चेन्नई से इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. दोनों की सफलता के बाद पूरा परिवार खुशी मना रहा है.
राजस्थान कैडर में आइएस है नितेश के पिता : नितेश के पिता श्रीमत पांडेय राजस्थान में विद्युत बोर्ड के चेयरमैन हैं. वे राजस्थान के प्रधान सचिव भी रह चुके हैं. नितेश की इस सफलता से पूरा गांव खुशी व्यक्त कर रहा है.
आइएएस में चयन होने के बाद नितेश अपने परिजनों के साथ सबसे पहले मंदिर गये और भगवान के आगे माथा टेका. आइआइटी चेन्नई से इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद से ही नितेश आइएएस बनने का सपना मन में संजोये हुए थे. इस बार की परीक्षा में नितेश को सफलता हासिल हुई और 141वां रैंक मिला. नितेश के छोटे भाई शशांक पांडेय भी आइआइटीयन हैं. दो भाइयों में नितेश बड़े हैं. नितेश की शादी भी हो चुकी है.
18 लाख के पैकेज पर करते हैं काम, पत्नी है डॉक्टर : यूपीएससी की परीक्षा में 141वां रैंक लाने वाले नितेश पांडेय 18 लाख के पैकेज पर एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं. इंजीनियर्स इंडिया कंपनी में वे अच्छे पैकेज के साथ अच्छे पद पर सेवा दे रहे हैं. नितेश की पत्नी भी पेशे से डॉक्टर हैं. नितेश के बाबा अशोक पांडेय ने बताया कि वह शुरू से ही पढ़ने में काफी मेधावी था. आइएस बनना उसका सपना था जो पूरा हो गया. उसकी इस सफलता से पूरा गांव जश्न मना रहा है.
आइआइटी खड़गपुर से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई पुरी करने के बाद स्वर्ण प्रभात ने माइक्रो सॉफ्ट वेयर कंपनी में जॉब पकड़ लिया. अच्छे पैकेज पर दो साल नौकरी करने के बाद स्वर्ण प्रभात ने नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी की तैयारी में जुट गये. पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और पूरे मन के साथ तैयारी में जुटे रहे.
दूसरे प्रयास में न सिर्फ सफलता मिली बल्कि 105वां रैंक भी हासिल हुआ. स्वर्ण प्रभात के पिता गुजरात में बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर है और पूरा परिवार वहीं पर रहता है. स्वर्ण प्रभात की दो बहने है. बेटे की सफलता पर उनके पिता कौशलेश कुमार सिन्हा और माता ललिता सिन्हा ने काफी खुशी व्यक्त की.
तरारी प्रखंड के मोआप कला के स्वर्ण प्रभात को मिला 105वां रैंक
बड़हरा प्रखंड के सबलपुर गांव के नितेश पांडेय को मिला 141वां रैंक
सफलता की कहानी चयनित प्रतिभागियों की जुबानी
105वां रैंक लाने वाले स्वर्ण प्रभात ने बताया कि सफलता का कोई शॉर्ट कट नहीं है. पहले अपना लक्ष्य निर्धारित करना होगा. इसके बाद योजना तैयार कर पढ़ाई करनी होगी. नियमित अध्ययन और मार्गदर्शन सबसे जरूरी है. स्वर्ण ने कहा कि युवा पीढ़ी को जल्दी बाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए. जो लक्ष्य निर्धारित करे हमेशा उसको अपने दिमाग में रखकर उस पर आगे बढ़ते रहे तो सफलता हर हाल में मिलेगी. वहीं 141वां रैंक लाने वाले नितेश पांडेय ने कहा कि योजनाबद्ध तरीके से अगर किसी भी लक्ष्य की ओर बढ़ा जाये तो वह उसे हर हाल में हासिल किया जा सकता है. यूपीएससी की तैयारी के लिए युवा पीढ़ी को पहले अपने रुचि के अनुसार विषय का चयन करना होगा. कम से कम 10 घंटे नियमित अध्ययन जरूरी है. उन्होंने कहा कि यूपीएससी की परीक्षा देश की सर्वोच्च परीक्षा है. इसलिए परीक्षा के लिए तैयारी और मार्गदर्शन शुरुआत से ही करनी होगी. देश के लिए कुछ अलग करने का है जज्बा यूपीएससी की परीक्षा में चयनित मोआप कला के स्वर्ण प्रभात और सबलपुर के नितेश पांडेय देश के लिए कुछ अलग करने का जज्बा मन में पाले हुए है.