भागलपुर : मुख्य बाजार क्षेत्र में सड़कों पर शनिवार को लोगों को भारत की लोक संस्कृति की झलक देखने को मिली. अस्मिता नाट्य मंच, मुगलसराय की ओर से कलाकार स्केटिंग कर देशभक्ति को बढ़ावा दे रहे थे, पाखंग्वा थियेटर इम्फाल के कलाकार मणीपुरी लोक नृत्य, थम्बाल डिस्ट्रीक्ट आर्ट एंड कल्चर एसोसिएशन, मणिपुर की आेर से लेमचा गोई लोक नृत्य, नवभारती सेवा न्यास, सीतामढ़ी के कलाकार राष्ट्रीय एकता पर आधारित नृत्य, ताल संस्था,भागलपुर के कलाकार झिंझिया व गोदना नृत्य, कालिका रंगमंच राघोपुर के कलाकार तिलकामांझी की झांकी, अंग डांस ग्रुप, भागलपुर के कलाकार आदिवासी संस्कृति की झांकी सजाकर राष्ट्रीय एकता को प्रदर्शित कर रहे थे.
यह नजारा था रंगग्राम जन सांस्कृतिक मंच की ओर से आयोजित रंग महोत्सव के तीसरे दिन पहले सत्र में कला केंद्र से निकाले गये रंग जुलूस का, जो खरमनचक, खलीफाबाग चौक, वेराइटी चौक, स्टेशन चौक , एमपी द्विवेदी रोड, कोतवाली चौक, खलीफाबाग होते हुए पुन: कला केंद्र आकर पूरा हुआ. इस रंग जुलूस के माध्यम से लोगों को भारत के विभिन्न हिस्सों की संस्कृति के माध्यम से विविधता में एकता का परिचय दिया गया.
जागा जेगी थाका में दिखा सफदर हाशमी का जीवन संघर्ष
भागलपुर : नाटककार सह रंगकर्मी सफदर हाशमी का पूरा जीवन नाटक के माध्यम से आमजन की आवाज बनने में बीता और संघर्ष से भरा रहा. वे सामंती ताकतों व सत्तावादी नेताओं के शिकार हुए. जीवन के अंतिम क्षण में भी अपने जन नाट्य आंदोलन को आगे बढ़ाते रहे. निर्मल हाजरा की रचना पर आधारित जागा जेगी थाका नाटक में नाटककार सफदर हाशमी के जीवन संघर्ष को जीवंत कर दिया.
इसमें उनके नाटक औरत, हल्ला बोल, हत्यारे आदि विषय को भी जोड़ा गया. यह नाटक बांग्ला में लोक शैली में प्रस्तुत किया गया. नाटक में अनिरवन घोष, सुकदेव कहार, राजीव डे, राहुल चटर्जी, पार्थ सारथी, शिवली चटर्जी, सम्राट मुखर्जी, अनन्या दास ने भूमिका की. इससे पहले रंगग्राम जन सांस्कृति मंच,भागलपुर की ओर से तीसरे दिन दूसरे सत्र में एकल नृत्य, नाटक व लोक नृत्य का कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम का उद्घाटन दुर्गा पूजा महासमिति की अध्यक्ष अनीता सिंह, डाॅ अशोक यादव, जिया गोस्वामी, सुमन सोनी, देवाशीष बनर्जी, जगतराम साह कर्णपुरी, शिशुपाल भारती, जयंत जलद, तरुण घोष ने संयुक्त रूप से किया. मंच का संचालन श्वेता सुमन ने किया.
जुलूस में शामिल कलाकारों ने दिया अलग-अलग सामाजिक संदेश
विभिन्न चौक-चौराहों पर रंग जुलूस में मणिपुर, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली व बिहार की 14 सांस्कृतिक संस्था ने अपनी-अपनी कला का प्रदर्शन नृत्य व भाव-भंगिमा से किया. रंग जुलूस में ड्रामाटर्जी आर्ट एंड कल्चर सोसाइटी, दिल्ली रंग यात्रा, सेतु वाराणसी ने रंग यात्रा, समग्र कला, पटना ने लोक रंग, याशना पब्लिक स्कूल, लैलख ने शहीदों का भारत शहीद भगत सिंह एवं साथियों को फांसी का दृश्य, नृत्यम, भागलपुर की ओर से बिहारी नृत्य, यंग नाट्य संस्था, वीरभूमि बांग्ला संस्कृति, रंगग्राम जन सांस्कृतिक मंच, भागलपुर रंग यात्रा, विश्वरूपम कला मंच, वाराणसी ने वर्तमान परिदृश्य को रंग जुलूस में प्रस्तुत किया.
इससे पहले रंग जुलूस काे रवाना सांसद बुलो मंडल, तिरूपतिनाथ यादव , राजीवकांत मिश्रा, संस्कृतिकर्मी ज्योतिषचंद्र शर्मा, प्रकाशचंद्र गुप्ता, देवाशीष बनर्जी, निदेशक कपिलदेव रंग, संयोजक दीपक कुमार, डॉ जयंत जलद, राहुल तिवारी, तरुण घोष, तापस घोष, श्वेता भारती आदि ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया. पूरे मार्ग में देशभक्ति गीत व धुन पर विभिन्न प्रांतों के कलाकारों लोक नृत्य पेश किये और रंगकर्म के प्रति लोगों में जागरूकता अभियान चलाया. इस मौके पर दीपक पाठक, श्वेता सुमन, सुनील कुमार, रमेश ढांढनिया, जगतराम साह कर्णपुरी आदि उपस्थित थे.
रंग महोत्सव के तीसरे दिन के दूसरे सत्र में एकल नृत्य नाटक व लोक नृत्य
ममलखा-हरिदास के बच्चों ने जीता दर्शकों का दिल
सांस्कृतिक आयोजन की शुरुआत माउंट फरबिस स्कूल की छात्राओं ने नारी सशक्तीकरण पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किया. फिर ममलखा-हरिदासपुर स्कूल के बच्चों ने अंग क्षेत्र की लोक संस्कृति पर आधारित अलग-अलग नृत्य की प्रस्तुति देकर श्रोताओं का दिल जीत लिया. श्रोताओं को यह कहना पड़ा कि सात वर्षों में अब तक का लाजवाब नृत्य रहा.
अंगराज के जीवन संघर्ष से सीख दे गया महारथी
दूसरा नाटक दिल्ली के ड्रामाटर्जी आर्ट एंड कल्चर सोसाइटी ने विभांशु वैभव रचित सुनील चौहान निर्देशित अंगराज कर्ण के जीवन पर आधारित महारथी नाटक का मंचन किया गया. इसमें बताया कि अंगराज कर्ण का पूरा जीवन संघर्ष से भरा रहा. बचपन में मां ने छोड़ दिया. फिर सूर्य पुत्र व राज पुत्र होने के बाद भी सूत पुत्र कहलाया. बार-बार भेदभाव का शिकार हुआ. जीवन के अंतिम क्षण में भी अपनी दानशीलता व मित्र धर्म के कारण राजनीति का शिकार होता है.
नाटक में महादानी के साथ महारथी के चरित्र को उभारा गया. नाटक में शुभम सिंह विष्ट, अरुण यादव, सत्येंद्र यादव, कृष्णा दास, कृष्णाचार्य सोनी, देवांग प्रताप सिंह, मनीष राज, सागर भट्टरई ने भूमिका की. वहीं तीसरा नाटक विश्वरूपम कला मंच, वाराणसी की ओर से रविकांत मिश्र निर्देशित प्रश्नचिह्न का मंचन किया गया.
चौथा नाटक अस्मिता नाट्य संस्था मुगल सरकार की ओर से वेश्यावृत्ति पर आधारित सुनीता का मंचन किया गया, तो पांचवां व अाखिरी नाटक समग्र कला, पटना की ओर से प्रमोद सिंह व अशोक सिंघल संचालित नाटक कथा एक सराय की का मंचन किया गया. कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से अमिट छाप छोड़ी. सबने मुक्त कंठ से कलाकारों की प्रशंसा की और कहा कि ऐसे आयोजन बार-बार हों ताकि कलाकारों को और मौका मिले.