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Aurangabad News : पांच वर्षों में 236 मकान का ही परमिशन

Aurangabad News:बिना परमीशन धड़ल्ले से बन रहे मकान, नप को हो रही राजस्व की क्षति

दाउदनगर. नगर पर्षद क्षेत्र में नियम कायदों को ताक पर रखकर सैकड़ों आवासीय व व्यवसायिक भवन निर्माण कार्य बिना परमिशन व नक्शा स्वीकृत के धड़ल्ले से हो रहा है. इसके कारण एक तरफ को हर साल लाखों रुपये के राजस्व का घाटा हो रहा है. वहीं, दूसरी तरफ अनियोजित तरीके से बसावट हो रहा है. शहर के कई ऐसे इलाके हैं, जिन इलाकों में धड़ल्ले से नये मकान देखे जा सकते हैं. जिम्मेदार पदाधिकारी स्थिति से वाकीफ होने के बावजूद नोटिस की औपचारिकता पूरी कर अपना दायित्व विभाग लेते हैं. शहर के नये बसे इलाकों में आमतौर पर नाली-गली रास्ता की समस्या देखी जाती है. यह समस्या आने वाले समय में और भी अधिक हो सकती है. खासकर ऐसे इलाकों में जल निकासी की समस्या अधिक देखी जाती है. पिछले पांच वर्षों के दौरान शहर में जहां कई नये इलाके विकसित हुए हैं, या कई इलाकों में नये-नये मकान बने हैं, जिनकी संख्या हजारों में हो सकती है, लेकिन नगर पर्षद के आंकड़े में मात्र 236 मकान के निर्माण का परमिशन दिया गया है. 2019-20 में 19, 2020-21 में 31, 2021-22 में 21, 2022-23 में 121 व 2023-24 में 44 नया मकान बनाने का परमिशन नप द्वारा दिया गया था. 2025-26 में पांच परमिशन दिये जा चुके हैं और सात-आठ प्रक्रियाधीन हैं, जबकि ऐसा नहीं है कि शहर में नये मकान नहीं बन रहे हैं. नये मकान तो बन रहे हैं, लेकिन उससे मिलने वाले राजस्व का नुकसान नप को झेलना पड़ रहा है.

बिना परमिशन के बने मकान का रिकॉर्ड नहीं

सूत्रों से पता चला कि नप क्षेत्र में बिना परमिशन के बने मकान का कोई रिकॉर्ड नहीं है. मकान बनाने के परमिशन के लिए जमीन का केवाला या बंटवारा का कागजात या सर्वे खतियान, एलपीसी की छाया प्रति के साथ आवेदन करना होता है. आर्किटेक्ट नक्शा बनाते हैं. नक्शा का ब्लूप्रिंट तैयार किया जाता है. आवासीय परिसर के लिए 60 रुपये व वाणिज्यिक के लिए 120 रुपये स्कवायर फुट की दर से नप में राशि जमा करनी होती है. प्रावधान के अनुसार, मकान बनाने वाले व्यक्ति को नप कार्यालय से निबंधित वास्तुविद का नंबर उपलब्ध कराया जाता है. वास्तुविद से संपर्क करने के बाद मकान के नक्शे का ब्लूप्रिंट तैयार किया जाता है. नक्शा का ब्लूप्रिंट बनवाने के बाद प्रक्रिया शुरू होती है और नक्शा के ब्लूप्रिंट के साथ परमिशन के लिए आवेदन नगर पर्षद में जमा किया जाता है. अमीन से जांच करायी जाती है. जेई और पदाधिकारी से जांच करवाने के बाद व सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद इओ द्वारा मकान बनाने का परमिशन दिया जाता है. जहां बिना परमिशन के धड़ल्ले से मकान बनने के कारण नगर पर्षद को राजस्व का नुकसान हो रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ बिहार भवन उप विधि 2014 एवं बिहार नगर पालिका 2007 के प्रावधानों का उल्लंघन हो रहा है.

अनुमति पत्र के साथ रहती है शर्तें

नगर पर्षद द्वारा जब मकान बनाने का अनुमति पत्र दिया जाता है, तो उसमें 11 शर्तें भी रहती हैं. कार्य प्रारंभ करने के पहले सूचना भवन एवं नियमावली फॉर्म में भरकर नप कार्यालय में समर्पित करने, नक्शे में दिये गये निर्देशों का पालन निश्चित रूप से करने तथा प्लींथ लेवल तक कार्य करने के पश्चात उसका डीपीसी सर्टिफिकेट प्राप्त करने और उसके बाद ही आगे का निर्माण करने, अग्निरोधक की व्यवस्था करने, स्वीकृत नक्शा के बिल्कुल अनुरूप भवन का निर्माण कराने, निर्माण कार्य समाप्त करने के पश्चात बिल्डिंग बायलॉज 2014 के अनुसार नगर पर्षद से प्रमाण पत्र प्रदान कर प्राप्त करने, एक हजार स्क्वायर फुट से बड़े प्लॉट में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने जैसी शर्तें शामिल है.

हाल के वर्षों में 120 को मिला नोटिस

नप सूत्रों से पता चला कि बिना परमिशन के मकान बनाने वालों को चिह्नित करने का प्रयास किया जाता है, लेकिन पिछले तीन-चार वर्षो के आंकड़े पर गौर करें तो मात्र 120 ऐसे लोगों को नोटिस की गयी है. हाल के महीनों में 60 लोगों को नोटिस की गई है.

शहर में 8647 मकान ही निबंधित

दाउदनगर सी श्रेणी का नगर पर्षद है. शहरीकरण की होड़ में प्रत्येक वर्ष लगभग 500 से 1000 तक नये मकान का निर्माण हो रहा है. नगर पर्षद के पास 8647 मकान की होल्डिंग की सूची है, लेकिन वास्तव में शहर में मकान की संख्या इससे काफी अधिक हो सकती है. शहर की आबादी जैसे-जैसे बढ़ती गयी, बसावट का दायरा भी बढ़ता गया. नये घर बनते गये. बेतरतीब तरीके से निर्माण होते गये. गलियां संकरी हो गयी. नालियां सही स्थिति में नहीं है. व्यावसायिक मकानों में भी पार्किंग की सुविधा देनी है, वह भी नहीं देखी जाती.

क्या कहते हैं इओ

इओ ऋषिकेश अवस्थी ने बताया कि शहर में अलग से सर्वे कराने की योजना है. बिना परमिशन भवन निर्माण करने की बात संज्ञान में आते ही कि नोटिस की जा रही है. परमिशन लेकर ही भवन निर्माण कराने के लिए शहर वासियों को जागरूक किया जा रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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