पिता का शव लेने पहुंचा आठ वर्षीय गोलू
– सुधीर कुमार सिन्हा –
औरंगाबाद : परिवार का बोझ मुखिया के सर होता है. हर पिता चाहता है कि उसका संतान बड़ा होकर नाम करे. पुत्र को भी अपने पिता से भी काफी उम्मीदें होती हैं. लैंड माइंस विस्फोट की घटना में शहीद हुए होमगार्ड के जवान चालक सुरेंद्र यादव कुछ इसी तरह के सपना संजोये अपने परिवार को सहेज रहे थे. लेकिन, नवीनगर थाना क्षेत्र में हुई घटना ने परिवार के उम्मीदों को झटका दे दिया.
जो मासूम अपने पिता से आस लगाये बैठा था, वह उनके शव को लेने बुधवार की सुबह पुलिस लाइन मैदान पहुंचा. आठ वर्षीय गोलू को देख कर शायद ही ऐसा कोई होगा, जिसकी आंखें नम नहीं हुई होंगी. पुलिस लाइन मैदान में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने के बाद शवों को उनके पैतृक गांवों के लिए रवाना किया गया.
नम हुईं आंखें
देव प्रखंड के चतुर बिगहा गांव में जैसे ही होमगार्ड चालक सुरेंद्र यादव का शव पहुंचा, परिजनों और ग्रामीणों के चीत्कार से गांव का कोना-कोना कांप उठा. घर के लोग भागते हुए शव से लिपट गये. सुरेंद्र की बूढ़ी मां मनवां कुंवर, पत्नी उषा देवी बेसुध थे. मां को बुढ़ापे का खौफ था, तो पत्नी को अपने व बच्चे के भविष्य की फिक्र. यूं कह लें, आज सारे रिश्ते स्वार्थी हो गये थे.
स्थानांतरण की गुहार
सुरेंद्र यादव टंडवा थाना क्षेत्र से अपना स्थानांतरण करवाना चाह रहा था. इसके लिए वह संबंधित पदाधिकारी से कई बार गुहार भी लगायी थी, लेकिन इसकी एक नहीं सुनी गयी. पत्रकारों को यह जानकारी सुरेंद्र के भाई रामप्रवेश यादव ने दी. उसने यह भी कहा कि मंगलवार की दोपहर घर में फोन कर बताया था कि वह घर आ रहा है. लेकिन कुछ ही घंटे बाद उसकी मौत की खबर घरवालों को मिली.
‘क्या हो गया पापा को’
पिता के शव को देखते ही 10 वर्षीय पुत्री पूजा कुमारी ने अपनी मां से पूछा कि मां पापा को क्या हो गया है? लोग क्यों रो रहे हैं और इतनी भीड़ क्यों है?
मासूम ने दी मुखाग्नि
लैंड माइंस विस्फोट की घटना में शहीद सुरेंद्र यादव के शव जब दाह संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था, तो सबकी आंखें नम थीं. आठ वर्षीय पुत्र गोलू ने अपने पिता के शव को मुखाग्नि दी. इस दौरान देव थानाध्यक्ष पंकज कुमार, अंचल अधिकारी ललन कुमार, पूर्व सरपंच शिवपूजन सिंह सहित सैंकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे.