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जीवन जीने की श्रेष्ठ पद्धति है शक्षिक बनना

जीवन जीने की श्रेष्ठ पद्धति है शिक्षक बनना(फोटो नंबर-18,19)कैप्शन- उद्घाटन करते प्रकृति श्रीवास्तव व निदेशक धनंजय कुमार, उपस्थित लोग औरंगाबाद (ग्रामीण)शहर के लॉर्ड बुद्धा पब्लिक स्कूल में अंगरेजी विषय पर कार्यशाला का आयोजन शनिवार को किया गया. इसका उद्घाटन रिसोर्स पर्सन प्रकृति श्रीवास्तव, विद्यालय के निदेशक धनंजय कुमार, प्राचार्य डाॅ रमेश चंद्र सिंह व प्रशासक […]

जीवन जीने की श्रेष्ठ पद्धति है शिक्षक बनना(फोटो नंबर-18,19)कैप्शन- उद्घाटन करते प्रकृति श्रीवास्तव व निदेशक धनंजय कुमार, उपस्थित लोग औरंगाबाद (ग्रामीण)शहर के लॉर्ड बुद्धा पब्लिक स्कूल में अंगरेजी विषय पर कार्यशाला का आयोजन शनिवार को किया गया. इसका उद्घाटन रिसोर्स पर्सन प्रकृति श्रीवास्तव, विद्यालय के निदेशक धनंजय कुमार, प्राचार्य डाॅ रमेश चंद्र सिंह व प्रशासक सुनील कुमार ने संयुक्त रूप से दीप जला कर किया. इस अवसर पर निदेशक श्री कुमार ने कार्यशाला का अर्थ समझाया. उन्होंने कहा कि शिक्षक जो विषय पढ़ाते हैं उसका संपूर्ण ज्ञान जरूरी है. कार्य संपादन का ज्ञान कार्य करने व अध्ययन से आता है. बच्चों के सामने विषय प्रस्तुत करने के तरीका का ज्ञान अवश्य आना चाहिए. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सूखी मिट्टी से बर्तन नहीं बनता. संवेदनारूपी जल से गिला करके बच्चों को अपने अनुरूप ढाला जा सकता है. शिक्षकों में अपने कार्य के प्रति सकारात्मक चिंतन होना जरूरी है. नाकारात्मक सोच वाले संवेदनहीन हो जाते हैं. बिना पतवार के नाव की तरह दिशाहीन हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षक बनना कोई पेशा नहीं, यह जीवन जीने की श्रेष्ठ पद्धति है. कार्यक्रम को प्राचार्य व प्रशासक ने भी संबोधित किया. रिसोर्स पर्सन द्वारा एक्टीविटी कराकर शिक्षण के नये-नये टिप्स बताये गये. इस मौके पर जूनियर ब्रांच के प्राचार्य मनोज कुमार सिन्हा, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस के प्रतिनिधि अभिषेक रंजन, अभिषेक कुमार व अन्य मौजूद थे.

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