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”सिक्सर किंग” युवराज सिंह का बयान- अगर टीम प्रबंधन का साथ मिलता तो 2019 विश्व कप खेल सकता था

नयी दिल्लीः पूर्व भारतीय बल्लेबाज और सिक्सर किंग के नाम से मशहूर युवराज सिंह ने दावा किया कि अंतरराष्टीय कैरियर के अंतिम पड़ाव में टीम प्रबंधन ने उन्हें निराश किया. संन्यास लेने के बाद पहली बार युवराज ने एक टीवी चैनल से साक्षात्कार में अपने कैरियर को लेकर चुप्पी तोड़ी. उन्होंने कहा, मुझे दुख होता […]

नयी दिल्लीः पूर्व भारतीय बल्लेबाज और सिक्सर किंग के नाम से मशहूर युवराज सिंह ने दावा किया कि अंतरराष्टीय कैरियर के अंतिम पड़ाव में टीम प्रबंधन ने उन्हें निराश किया. संन्यास लेने के बाद पहली बार युवराज ने एक टीवी चैनल से साक्षात्कार में अपने कैरियर को लेकर चुप्पी तोड़ी. उन्होंने कहा, मुझे दुख होता है कि 2011 के बाद मैं एक और विश्व कप नहीं खेल सका. टीम प्रबंधन और इससे जुड़े लोगों से मुझे मुश्किल से ही कोई सहयोग मिला. अगर उस तरह का समर्थन मुझे मिलता तो शायद मैं एक और विश्व कप खेल लिया होता.

उन्होंने कहा, लेकिन जो भी क्रिकेट मैंने खेला, वो अपने दम पर खेला. मेरा कोई ‘गॉडफादर’ नहीं था. युवराज ने कहा कि फिटनेस के लिये अनिवार्य ‘यो-यो टेस्ट’ पास करने के बावजूद उनकी अनदेखी की गयी. उन्होंने कहा कि टीम प्रबंधन को उनसे पीछा छुड़ाने के तरीके ढूंढने के बजाय उनके कैरियर के संबंध में स्पष्ट बात करनी चाहिए था.

युवराज ने कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे 2017 चैम्पियंस ट्राफी के बाद आठ से नौ मैच में से दो में मैन आफ द मैच पुरस्कार जीतने के बाद मुझे टीम से बाहर कर दिया जायेगा. मैं चोटिल हो गया और मुझे श्रीलंका श्रृंखला की तैयारी के लिये कहा गया. उन्होंने कहा, अचानक ही मुझे वापस आना पड़ा और 36 साल की उम्र में ‘यो-यो टेस्ट’ की तैयारी करनी पड़ी. यहां तक कि ‘यो-यो टेस्ट’ पास करने के बाद मुझे घरेलू क्रिकेट में खेलने को कहा गया. उन्हें ऐसा लगा था कि मैं इस उम्र में इस टेस्ट को पास नहीं कर पाऊंगा. इससे उनके लिये मुझे बाहर करने में आसानी हो जाती.

युवराज ने कहा, मुझे लगता है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण था क्योंकि जिस खिलाड़ी ने 15-16 साल तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला हो, उसे आपको सीधे बैठकर बात करनी चाहिए. किसी ने भी मुझे कुछ नहीं कहा, न ही किसी ने वीरेंद्र सहवाग या जहीर खान से ऐसा कहा. इसके बावजूद युवराज ने कहा कि उन्हें खेल से संन्यास लेने के समय को लेकर कोई पछतावा नहीं है.

उन्होंने कहा, मेरे दिमाग में कई चीजें चल रही थी. विश्व कप शुरू हो गया था और टीम आगे बढ़ रही थी. मैं भारत से बाहर कुछ क्रिकेट खेलना चाहता था. जिदंगी आगे नहीं बढ़ रही थी, यह तनावपूर्ण था. युवराज ने कहा, मैं संन्यास को लेकर पसोपेश में था. मेरी कुछ साल पहले शादी हुई थी, इसलिये मैं घर पर भी ध्यान देना चाहता था. मेरे लिये कैरियर का समापन थोड़ा बोझ बनता जा रहा था.

उन्होंने कहा, अगर मुझे भारत से बाहर लीग में खेलना था तो मुझे संन्यास लेना पड़ता तो मैंने सोचा कि यह सही समय होगा. चीजें सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रही थीं इसलिये मैंने सोचा कि युवाओं के लिये टीम को आगे बढ़ाने का यह सही समय है और मेरे लिये संन्यास लेना सही होगा.

बता दें कि युवराज सिंह (युवी) ही एकमात्र ऐसे बल्लेबाज जिन्होंने 20-20 विश्व कप 2007 में इंग्लैंड के खिलाफ एक ओवर की 6 गेंदों में 6 छक्के मार कर विश्व रिकॉर्ड बनाया. इसके साथ ही 20-20 में 12 गेंदों में अर्धशतक बनाने का विश्व रिकॉर्ड भी उनके नाम है. 2011 विश्व कप पर भारत ने कब्जा जमाया जिसमें इन्हें मैन ऑफ द सीरीज के खिताब से नवाजा गया.

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