Saubhagya Sundari Teej 2025: आज मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत मनाया जा रहा है. यह दिन विवाहित महिलाओं के लिए बहुत शुभ माना जाता है. इस व्रत में देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है ताकि विवाह में सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य प्राप्त हो सके. कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से जीवन में खुशहाली आती है.
शुभ मुहूर्त
पूजा का समय: सुबह 7:05 बजे से दोपहर 12:10 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा.
विवाहित महिलाओं के लिए क्यों है खास
सौभाग्य सुंदरी तीज को विवाहित महिलाओं का प्रमुख व्रत माना गया है, क्योंकि यह व्रत देवी पार्वती और भगवान शिव के अटूट दांपत्य प्रेम का प्रतीक है. मान्यता है कि देवी पार्वती ने कठोर तप करके भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था, इसलिए इस दिन सुहागिन महिलाएं भी उसी तरह पति के दीर्घायु, सौभाग्य और वैवाहिक सुख की कामना करती हैं. यह व्रत न केवल दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ाता है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी लाता है.
सौभाग्य सुंदरी तीज की पूजा विधि
इस दिन विवाहित महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और स्वच्छ वस्त्र पहनती हैं.
घर में भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित कर विधिवत पूजा करती हैं.
पूजा में 16 श्रृंगार की वस्तुएं, फूल, फल, दूब और मिठाई अर्पित की जाती हैं.
माता पार्वती और भगवान शिव के मंत्रों का जाप कर आरती की जाती है.
महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं.
कुछ महिलाएं पूरे दिन का व्रत रखती हैं और सायंकाल पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करती हैं.
इस व्रत का महत्व
इस व्रत को करने से विवाहित स्त्रियों को सौभाग्य, सुख, समृद्धि और पति का लंबा जीवन प्राप्त होता है. माना जाता है कि जो महिलाएं श्रद्धा और भक्ति से सौभाग्य सुंदरी तीज का व्रत रखती हैं, उन्हें माता पार्वती की तरह अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है.
क्या अविवाहित लड़कियां भी यह व्रत कर सकती हैं?
हां, कुछ स्थानों पर अविवाहित कन्याएं भी यह व्रत करती हैं ताकि उन्हें सुखी वैवाहिक जीवन और योग्य वर की प्राप्ति हो.
सौभाग्य सुंदरी तीज और हरियाली तीज में क्या अंतर है?
हरियाली तीज सावन में मनाई जाती है, जबकि सौभाग्य सुंदरी तीज मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. दोनों में देवी पार्वती की पूजा की जाती है, लेकिन उद्देश्य और समय अलग-अलग होते हैं.
क्या इस दिन व्रत रखना जरूरी है?
हां, परंपरागत रूप से महिलाएं इस दिन उपवास रखती हैं, लेकिन कुछ महिलाएं केवल फलाहार कर पूजा संपन्न करती हैं.

