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Saubhagya Sundari Teej 2025: कब है सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत? जानिए इस उपवास की पौराणिक मान्यता

Saubhagya Sundari Teej 2025: इस साल सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत 8 नवंबर, शनिवार को रखा जाएगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत क्यों रखा जाता है? यह व्रत हर साल मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. आइए जानते हैं इस व्रत के लाभ और महत्व.

Saubhagya Sundari Teej 2025: हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए कई व्रत और त्यौहार खास माने गए हैं. इन्हीं में से एक है सौभाग्य सुंदरी तीज, जो हर साल मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है.

व्रत की तिथि और महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, सौभाग्य सुंदरी तीज मार्गशीर्ष (अगहन) मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को आती है. इस साल यह व्रत 8 नवंबर 2025, शनिवार को रखा जाएगा. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सुहाग के लिए यह व्रत रखती हैं. वहीं, अविवाहित कन्याएं अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं. मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा से व्रत और पूजन करने से विवाह में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं.

व्रत का धार्मिक और पौराणिक महत्व

कहते हैं कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कई जन्मों तक कठोर तपस्या की थी. उनकी तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया. इसी कथा की याद में यह व्रत रखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो महिलाएं इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से व्रत करती हैं, उनके दांपत्य जीवन में प्रेम, सुख और समृद्धि बनी रहती है.

इस दिन ऐसे करें पूजा

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.

पूजा के स्थान पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें.

पहले भगवान गणेश की पूजा करें, फिर शिव-पार्वती की आराधना करें.

माता पार्वती को श्रृंगार की वस्तुएँ जैसे – बिंदी, चूड़ी, सिंदूर, मेहंदी, काजल आदि अर्पित करें.

भगवान शिव को बेलपत्र, जल, दूध, दही और शहद से स्नान कराएँ.

शिव-पार्वती की कथा पढ़ें या सुनें और अंत में आरती करें.

पूजा के बाद जरूरतमंदों को दान देने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है.

व्रत के लाभ

धार्मिक मान्यता है कि सौभाग्य सुंदरी तीज का व्रत करने से विवाह में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं और पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम और सम्मान बढ़ता है. जो महिलाएं इस व्रत को पूरे विधि-विधान और श्रद्धा से करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

तिथि और शुभ मुहूर्त

व्रत की तिथि: 8 नवंबर 2025, शनिवार

तृतीया तिथि प्रारंभ: 7 नवंबर 2025 को रात 11:32 बजे से

तृतीया तिथि समाप्त: 8 नवंबर 2025 को रात 09:45 बजे तक

पूजा का शुभ मुहूर्त: प्रातः कालीन समय – सुबह 06:00 से 08:30 बजे तक शुभ माना गया है.

JayshreeAnand
JayshreeAnand
कहानियों को पढ़ने और लिखने की रुचि ने मुझे पत्रकारिता की ओर प्रेरित किया. सीखने और समझने की इस यात्रा में मैं लगातार नए अनुभवों को अपनाते हुए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हूं. वर्तमान मे मैं धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को नजदीक से समझने और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हूं.

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