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डिजिटल देशभक्ति का दौर!

ललित शौर्य व्यंग्यकार mlalit982@gmail.com देशभक्ति फुल’टू डिजिटल हो चुकी है. यह दौर डिजिटल देशभक्ति का है. अगर आप डिजिटल देशभक्ति शो नहीं कर रहे, तो आप देशभक्त हो ही नहीं सकते. आज देशभक्त होने के लिए पहली शर्त है कि आपका फेसबुक, व्हाॅट्सएप और ट्विटर अकाउंट होना चाहिए. और डीपी पर बड़ा सा तिरंगा फहरना […]

ललित शौर्य
व्यंग्यकार
mlalit982@gmail.com
देशभक्ति फुल’टू डिजिटल हो चुकी है. यह दौर डिजिटल देशभक्ति का है. अगर आप डिजिटल देशभक्ति शो नहीं कर रहे, तो आप देशभक्त हो ही नहीं सकते. आज देशभक्त होने के लिए पहली शर्त है कि आपका फेसबुक, व्हाॅट्सएप और ट्विटर अकाउंट होना चाहिए. और डीपी पर बड़ा सा तिरंगा फहरना चाहिए. आपके द्वारा स्टेटस पर गूगल से चोरी की गयी किसी बड़े लेखक की कविताओं की पंक्तियां चेपी गयी हों.
अगर ऐसा है तो आप बड़े वाले देशभक्त हैं. इसके साथ ही अगर आपने अपने शहर के हर गली, महोल्ले, नुक्कड़ और चौराहे पर अपने थोबड़े के साथ बड़े-बड़े होर्डिंग लटकाये हुए हैं, तो आप निसंदेह टॉप क्लास के देशभक्त कहे जायेंगे. आज के डिजिटल दौर में डिजिटल शुभकामनाएं और डिजिटल देशभक्ति ही चर्चा में हैं.
अगर यह समय आजादी के लिए जद्दोजहद का होता तो, आजाद, भगत सिंह, सुभाषचंद्र बोस से भी बड़े देशभक्त फेसबुकिए कहलाते. ये डिजिटल देशभक्त सोशल मीडिया के माध्यम से ही अंग्रेजों भारत छोड़ो का आंदोलन चलाते.
निश्चित ही दो-चार अंग्रेज इनके इस आंदोलन से भयभीत होकर इनकी फ्रेंडलिस्ट छोड़कर भाग खड़े होते. घर बैठे, रजाई के भीतर घुसे-घुसे क्रांतियां दौड़ने लगतीं. देशभक्ति का ज्वार फूट पड़ता. लोग लाइक, कमेंट और शेयर रूपी हथियारों से ही आजादी का युद्ध लड़ते. फेसबुकिये क्रांतिकारियों के लाइक्स और फॉलोवर देखकर ब्रितानी हुकूमत की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती. डिजिटल देशभक्त अंग्रेजी शासन को ऐसा ट्रोल करते कि वे भाग खड़े होते.
अब वह दौर है, जहां देशभक्ति दिखाने में मजा है. देशभक्ति टपकनी चाहिए. देशभक्ति वायरल होनी चाहिए. अगर अगस्त का महीना आते ही आपके व्हाॅट्सएप और फेसबुक देशभक्ति के गीत ना उगलने लगे, तो समझ लो मामला गड़बड़ है.
आपको शक की नजरों से देखा जा सकता है. देश में ग्यारह महीने देशभक्ति फ्रिज में ठंडी पड़ी रहती है. अगस्त आते ही देशभक्ति में उबाल आने लगता है. वह हमारी अंगुलियों में थिरकते हुए मोबाइल की-पैड में कत्थक करती हुई फेसबुक स्क्रीन में नृत्य करने लगती है. फेसबुकिये की व्यस्तता देशभक्ति की पोस्टों को इधर से उधर, कॉपी पेस्ट में रहती है. जैसे उनकी देशभक्ति मौलिक नहीं होती, वैसे ही उनके विचार भी मौलिक नहीं होते.उधारी के स्टेटस से नगद और खरी देशभक्ति का जुगाड़ देखा जा सकता है.
असल जीवन में आप कितने भी अराष्ट्रीय क्यों न हों, पर फेसबुक की एक पोस्ट आपको राष्ट्रवादी और प्रखर देशभक्त का मेडल देने के लिए काफी है.
आप भले ही बिजली चोरी करते हों, रेल का टिकट मार लेते हों, सार्वजनिक स्थानों पर पीक मारकर दीवारें रंगने का काम करते हों, सरकारी वस्तुओं की ऐसी-तैसी करते हों, पर आपके ये सारे पाप अगस्त के माह में धुल सकते हैं. अगस्त का महीना देशभक्ति का महाकुंभ है, जिसमें फेसबुक रूपी गंगा में पोस्ट रूपी डुबकी लगाकर देशभक्ति रूपी पुण्य कमाया जा सकता है.

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